ब्यूरो रिपोर्ट – सौरभ चतुर्वेदी
अम्बेडकरनगर।। जिला ग्रीन जोन में था लेकिन दो कोरोना पॉजिटव केस मिलने से ऑरेंज जोन में कर दिया गया। ऐसे में बाहर से आये मजदूरों को बिना क़वारन्टीन किये घरों में भेजना खतरनाक साबित हो सकता है। ग्रीन से ऑरेंज जोन में आने के बाद असावधानी के चलते रेड जोन में भी जा सकता है।
बता दें कि पूरे विश्व सहित भारत भी कोरोना महामारी से जूझ रहा है। कोरोना संकट के बीच में दूसरे राज्यों व जिलों से प्रवासी मजदूरों को अपने घरों पर पहुचाने का सरकार ने कदम उठाया है। लेकिन जो प्रवासी मजदूर अपने घरों में बिना क़वारन्टीन हुए दूसरों के संपर्क में आ रहे हैं, खतरनाक हो सकता है। अम्बेडकरनगर के ऑरेंज जोन में आने के बाद स्थानियों का कहना है कि अभी तो ग्रामीण क्षेत्र तो सुरक्षित था लेकिन जो बाहर से आये मजदूरों को बिना क़वारन्टीन किये घरों में भेज दिया जा रहा है। इससे वो दिन दूर नहीं जब ग्रामीणों को भी इस कोरोना महामारी का संकट से जूझना पड़ सकता है।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कोई भी प्रवासी आता है तो उसे घरों पर भेज दिया जाता है। साथ ही कहा जाता है कि आप घरों में ही क़वारन्टीन हो जायें। लेकिन क़वारन्टीन तो दूर की बात ज्यादातर लोग इधर उधर गाँवो में घूमते नजर आते रहते हैं। जिससे गाँवो और शहरों में दहशत का माहौल बना हुआ है। अगर कोई भी ग्रामीण या नगरवासी इस बात पे आपत्ति जताते हैं तो प्रवासी मजदूर नाराज हो जाते है तथा अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। जिससे गावँ के जिम्मेदार भी इस संदर्भ में कोई ठोस कदम नही उठा रहे हैं। ऐसे तो अंबेडकरनगर के कोरोना योद्धाओ जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक व पुलिस कर्मियों तथा डॉक्टरों की कड़ी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
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बता दें कि शासन प्रशासन द्वारा जिले वासियों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। कहीं रैलियों के जरिए तो कहीं लोगों की मदद के रूप में आगे आकर उन्हे संग ही जागरूक भी कर रही है।
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