हिंदी फिल्म जगत में अपनी लेखनी का जलवा बिखेरने वाले मशहूर शायर, लेखक, स्क्रीनराइटर एवं गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) का जन्म 17 जनवरी,1945 को ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता जां निसार अख्तर मशहूर कवि और माता सफिया अख्तर लोकप्रिय उर्दु लेखिका थीं। लेखन का हुनर जावेद को विरासत में मिला था।
बचपन से ही जावेद (Javed Akhtar) को घर में ऐसा माहौल मिला जिसमें उन्हें कविताओं और संगीत का अच्छा खासा ज्ञान हो गया। बचपन मे जावेद के मम्मी-पापा उन्हें प्यार से जादू कहकर पुकारा करते थे। यह नाम उनके पिता की लिखी कविता की एक पंक्ति.. लम्हा, लम्हा किसी जादू का फसाना होगा… से लिया गया था। बाद में उन्हें जावेद नाम दिया गया।
अख्तर (Javed Akhtar) की जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब उनके बचपन में ही मां का निधन हो गया। पिता ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद जावेद अपने नाना नानी और बाद में खाला के यहां रहने लगे।
सन् 1964 में काम की तलाश और अपनी अलग पहचान बनाने के लिए Javed Akhtar मुंबई आ गए। यहां शुरूआती दौर में जावेद ने बहुत कठिनाइयों में जीवन गुजारा। उनके पास ना रहने का कोई ठिकाना था,ना खाने को खाना। लेकिन जावेद ने परिस्तिथियों से हार नहीं मानी।
Javed Akhtar ने अपने करियर की शुरुआत सरहदी लूटेरा की थी। इस फिल्म में सलीम खान हीरो थे और जावेद क्लैपर बॉय। इसके बाद दोनों की दोस्ती हो गई और सलीम-जावेद की जोड़ी के नाम से मशहूर हो गए। दोनों ने मिलकर बॉलीवुड के लिए कई सुपर-हिट फिल्मो की पटकथाएं लिखी। दोनों ने मिलकर साल 1971-1982 तक करीबन 24 फिल्मों में साथ किया जिनमें सीता और गीता, शोले, हाथी मेरा साथी, यादों की बारात, दीवार आदी फिल्मे शामिल हैं।
सन् 1987 में आई फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गई। इसके बाद भी जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा। अख्तर ने कई फिल्मों के सुपरहिट गीत भी लिखे जिसमें इक लड़की को देखा (1942 ए लव स्टोरी), घर से निकलते ही (पापा कहते हैं), संदेशे आते हैं (बॉर्डर), राधा कैसे न जले (लगान) आदि शामिल हैं।
Javed Akhtar ने दो शादियां की । उनकी पहली पत्नी हनी ईरानी थीं। जिनसे उन्हें दो बच्चे है फरहान अख्तर और जोया अख्तर और दोनों ही हिंदी सिनेमा के जाने माने अभिनेता, निर्देशक-निर्माता हैं। हनी ईरानी से तलाक के बाद 1984 में जावेद ने दूसरी शादी शबाना आजमी से की।
Javed Akhtar को साल 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया। 2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया।