भारतीय सेना की लंबे समय से लंबित मांग अब पूरी, अब देश की सभी सीमाओं पर संचार नेटवर्क होगा मजबूत

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​नई दिल्ली, 02 अक्टूबर यूपी किरण​​।​ देश की सीमाओं पर संचार नेटवर्क को मजबूत करने के लिए भारतीय सेना की लंबे समय से लंबित मांग अब पूरी हो गई है। लगभग आठ हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी), नियंत्रण रेखा (एलओसी) और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘संचार तंत्र’ को बढ़ाया जाएगा। इससे पश्चिमी सीमा में भी अग्रिम स्थानों तक संचार की पहुंच संभव होगी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मेसर्स आईटीआई लिमिटेड को पूरे देश में सेना के लिए सामरिक व सुरक्षित संचार नेटवर्क तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। पूरे देश की सीमाओं पर 11 हजार किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाया जाएगा।
 
भारतीय सेना का संचार तंत्र अब भी वायरलेस सिस्टम पर आधारित है, जिससे गोपनीय सन्देश यानी रेडियो सिग्नल दुश्मन के रडार की पकड़ में आने का खतरा बना रहता है। इसीलिए सेना की ओर से देश की सीमाओं पर लम्बे समय से संचार तंत्र को मजबूत करने की मांग की जा रही थी। अब सुरक्षा मंत्रिमंडलीय समिति ने आर्मी स्टेटिक स्विच्ड कम्युनिकेशन नेटवर्क (एस्कॉन) के चौथे चरण की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। साथ ही आईटीआई लिमिटेड के साथ 7796.39 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी 36 महीने के अन्दर एएससीओएन की स्थापना करेगी, जिससे देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण सीमा रेखाओं पर रक्षा बलों की परिचालन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। 
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यह परियोजना एक रणनीतिक और थिएटर क्षेत्र संचार नेटवर्क है जो मौजूदा प्रौद्योगिकी को इंटरनेट प्रोटोकॉल को मल्टी प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस) प्रौद्योगिकी में अपग्रेड करेगा। संचार माध्यम के रूप में ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), माइक्रोवेव रेडियो और सेटेलाइट का उपयोग किया जाएगा। यह परियोजना किसी भी परिचालन परिदृश्य में बेहतर जवाबदेही और उच्च बैंडविड्थ प्रदान करेगी और देश की सीमाओं के करीब नेटवर्क के संचार कवरेज को बढ़ाएगी। नेटवर्क मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में दूरदराज के परिचालन क्षेत्रों तक उच्च बैंडविड्थ संचार का विस्तार करेगा और पश्चिमी सीमा में भी अग्रिम स्थानों तक संचार की पहुंच को संभव कराएगा। इस प्रकार, यह परियोजना संवेदनशील अग्रिम परिचालन क्षेत्रों में भारतीय सेना के संचार नेटवर्क को बढ़ाएगी, जो भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों को विशेष रूप से एलएसी की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए विशेष बढ़ावा प्रदान करेगी।
 
इसके अलावा यह परियोजना लगभग 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ भारतीय उद्योग को बढ़ावा देगी। इस परियोजना में सिविल कार्यों का निष्पादन, ओएफसी का निर्माण, टॉवर का निर्माण आदि शामिल है और स्थानीय संसाधनों के उपयोग, स्थानीय श्रमशक्ति को काम पर लगाने के साथ यह विशेष रूप से दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों को रोजगार के अवसर पैदा करेगा।नेटवर्क का काम पूरा होने और रखरखाव के लंबे समय के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन और बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के स्थानीय वस्तुओं के उत्थान में मदद मिलेगी और क्षेत्र के लोगों का कौशल विकास भी होगा। यह परियोजना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मेसर्स आईटीआई लिमिटेड के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने का एक बड़ा अवसर है और यह आत्म-निर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।​
 
मेसर्स आईटीआई लिमिटेड के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक आरएम अग्रवाल ने कहा कि कंपनी पूरे देश में सुरक्षित संचार के लिए सामरिक नेटवर्क बिछाएगी ओर साथ ही अगले 10 साल तक उसका मरम्मतीकरण भी करेगी। अग्रवाल के मुताबिक उनकी कंपनी ने पिछले तीन दशक में एस्कॉन प्रोजेक्ट के पहले तीनों चरणों को सफलता से लागू करने और उनका मरम्मतीकरण संभालने का काम किया है। हम चौथे चरण के प्रोजेक्ट को लेकर बेहद उत्साहित हैं। इस चरण के तहत पूरे देश में 11 हजार किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाएगी।
 

 

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