लखनऊ॥ तालाबन्दी होने के बाद जब देश के सामने कोविड-19 जैसे संकट का सामना था और देश के नेता संक्रमण के लिए धर्म और आस्था को ज़िम्मेदार ठहरा रहे थे उसी वक्त इन हिन्दू-मुस्लिम की टीवी डिबेट से दूर एक महिला अपने कंधे पर सेनेटाइज़ मशीन लादकर गली-गली व मंदिर, मस्जिद व चर्च को सेनेटाईज़ कर चुपचाप से कोविड-19 से जंग में अपनी भूमिका निभा रही थी।
राजधानी लखनऊ के घंटा घर की एक फोटो व वीडियो CAA के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के दौरान भी खूब वायरल हुआ था जिसमें बुर्क़ा पहने हुए एक महिला अपने बच्चे को गोद में बांधें हुए हाथ में माइक लेकर बुलंद आवाज़ में नारे लगा रही थी। जब धरना ख़त्म हो गया और तालाबन्दी (लॉकडाउन) शुरू हुआ तो यही महिला कोविड-19 संकट से जंग लड़ने के लिए अपनी पीठ पर स्प्रे मशीन लादकर मंदिर से लेकर मोहल्ले की 35 गलियों को सेनेटाइज़ करती हुई दिखाई दी जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। ये राजधानी लखनऊ की Uzama हैं जो हमेशा जद्दोजहद में मसरूफ रहती हैं।
पुराने लखनऊ के सआदतगंज की रहने वाली इस महिला का नाम Uzama है जिसने संघर्ष करते रहने को ही अपने जीवन का मिशन बनाया है, जिसने अपनी धार्मिक पहचान को अपनी ताक़त बनाई है, जिसने अपनी हिम्मत और हौसले को अपना आदर्श और जद्दोजहद को अपना रास्ता बनाया है।
पत्रकारों से बात करते हुए Uzama कहती हैं कि हमारा उद्देश्य देश को बेहतर बनाना है, बुराई, नाइंसाफी और हर तरह के संकट से लड़ना है ताकि आने वाली पीढ़ी मोहब्बत और अम्न की फिज़ा में सांस ले सकें।
Uzama ने कहा कि कोविड-19 संकट से लड़ाई में देशभर में डॉक्टर, पुलिस विभाग और दुसरे सभी लोग जुटे हुए हैं। ऐसे में मैंने भी सोचा कि क्यों न कोरोना से लड़ाई में अपने हिस्से का काम किया जाए और मैंने उन इलाकों में सेनेटाइज़ करना शुरू किया जहाँ नगर निगम नहीं पहुंच पाता।
आपको बता दें कि Uzama की लखनऊ के गली-कस्बों को सेनेटाइज़़ करती हुए फोटोज़़ और वीडियो बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जहां उन्हें मंदिर में, दुकानों में और संकरी गलियों में कोविड-19 से बचाव के लिए सेनेटाइज़़़ करते हुए देखा जा सकता है।