महाशिवरात्रि : भगवान शिव की अराधना का महापर्व

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Upkiran Desk

भगवान शिव की अराधना का महापर्व महाशिवरात्रि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। लोक मान्यता है कि इस दिन भगवान् भोलेनाथ की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चूंकि भगवान शिव सिर्फ एक लोटा जल और बेलपत्र अर्पित करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ, आशुतोष और औढरदानी भी कहा जाता है। इस वर्ष शिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को पड़ रहा है। शिवरात्रि पर देश के विभिन्न स्थानों पर मेलों का भी आयोजन होता है।

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा चार प्रहर पूजा का विधान है। इस दिन रात्रि के समय चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस पर्व पर शिवभक्त व्रत रखते हैं और गंगा और अन्य पवित्र नदियों में पवित्र स्नान करते हैं। भगवान शिव को फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, बेर जाऊ की बाली, दीप, अगरबत्ती आदि अर्पण करते हैं। पूरे दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप किया जाता है।

शिवरात्रि पर भारत के संपूर्ण मंदिर हर हर महादेव के जयकारों से गूंजते हैं। मंदिरों में घंटियां व घड़ियाल बजते हैं। भक्त शिवलिंग का जल या दूध से अभिषेक करते हैं। इस दिन रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। इसी दिन कांवरियों की यात्रा भी सपन्न होती है और वे गंगा या दूसरी पवित्र नदियों से कांवर में भरकर लाये गए जल को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। महाशिवरात्रि पर तंत्र, मंत्र साधना और तांत्रिक पूजा भी की जाती है।

शिव की आराधना बेहद सहज व सरल है। धर्म-शास्त्रों में अनुसार किसी भी समय दूसरों के लिए अपने मन में गलत भावना लाना या फिर किसी का बुरा करना व सोचना पाप माना गया है। शिवरात्रि के दिन भूलकर भी किसी के बारे में बुरा न सोचें और न ही किसी का अहित करें। ऐसा करने पर भगवान शिव की कृपा के बदले उनके क्रोध का सामना करना पड़ता है। इसी तरह शिवरात्रि के दिन माता-पिता, गुरूजनों, पत्नी, पराई स्त्री, बड़े-बुजुर्गों और पूर्वजों का अपमान महापाप माना गया है। इसी तरह मदिरा पान करना और दान की हुई चीजें या धन वापस लेना भी महापाप की श्रेणी में आता है। इन सबसे बचना चाहिए।

इस बार महाशिवरात्रि पर अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषविदों के अनुसार इस बार श्रवण नक्षत्र का साक्षी सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग एवं त्रयोदशी प्रदोष का योग बना है, जो शिवभक्तों के लिए बेहद फलदायी होगा। इस संयोग में रुद्राभिषेक करने पर भग्वान शिव की विशेष कृपा बरसती है।

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