देश में हर साल दो अक्टूबर (Mahatma Gandhi Jayanti) की पूरे हर्षोल्लास के साथ गांधी जयंती मनाई जाती है। महात्मा गांधी ने बिना कोई हथियार उठाये अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे और उन्हें देश से भागने पर मजबूर कर दिया था। गांधी जी का सम्मान देश का बच्चा बच्चा तक करता था। आज हम आपको बापू की जिंदगी से जुड़े ऐसे किस्से सुनाएंगे जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है।
बताया जाता है कि जब पूरा देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। उस समय देश कि कई हिस्सों में डाकू भी सक्रिय थे। इसी दौरान मध्य प्रदेश के सिंगरौली पहाड़ी इलाके में डाकुओं ने एक सुनार को पकड़ लिया। डाकुओं से घिर जाने पर पहले तो सुनार पहले तो घबराया, लेकिन इसके बाद उसने खुद को संभालते हुए वंदेमातरम का नारा लगाया। साथ ही, खादी का कपड़ा भी दिखाया। सुनार ने डाकुओं से कहा कि वह गांधीजी का अनुयायी है। डाकुओं ने जब यह सुना तो वे सुनार को छोड़कर चले गए। सुनार ने इस घटना का जिक्र गांधीजी के एक साथी से किया था जिसके बाद यह किस्सा आम हो गया। (Mahatma Gandhi Jayanti)
कहते हैं कि बिहार के डॉ. सैय्यद महमूद स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। एक बार वह सेवाग्राम स्थित बापू के आश्रम में उनसे मिलने आये थे। बताया जाता है कि उस वक्त डॉ. महमूद काफी बीमार थे और डॉक्टरों ने ‘चिकन सूप’ लेने की सलाह दी लेकिन गांधी जी आश्रम में मांसाहार बनाने की अनुमति नहीं थी लेकिन जब गांधीजी को पता चला तो उन्होंने डॉ. महमूद को आश्रम में ही रुकने के लिए कहा। इसके साथ ही उनके लिए आश्रम में ही चिकन सूप तैयार भी कराया।
बात सन 1946 की है। बापू दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित वाल्मीकि कॉलोनी में आए थे। वह यहां 214 दिन तक रुके। उस दौरान उन्हें पता चला कि वाल्मीकि होने के कारण बस्ती के बच्चों को कोई नहीं पढ़ाता तो बापू ने खुद ही बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिए। जब बापू खुद बच्चों को पढ़ाने लगे तो उनके पास पढ़ने के लिए गोल मार्केट, पहाड़गंज और इरविन रोड आदि इलाकों से बच्चे लगे। (Mahatma Gandhi Jayanti)
दिसंबर 1920 तक गांधीजी को महात्मा गांधी की उपाधि दी गयी। उस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक हुई। बैठक में मोहम्मद अली जिन्ना ने बापू को महात्मा कहने से इनकार कर दिया। ऐसे में गांधीजी ने कहा, ‘‘मैं महात्मा नहीं हूं। मैं साधारण आदमी हूं। जिन्ना साहब को कोई खास शब्द बोलने के लिए कहकर आप मेरा सम्मान नहीं कर रहे हैं। हम दूसरों पर अपने विचार थोपकर असली आजादी हासिल नहीं कर सकते।’’ (Mahatma Gandhi Jayanti)
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