जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय बढ़ी फीस मामले में अभी तक कोई रुख साफ़ नहीं हो रहा है. सरकार के मंत्रालय अपने अड़ियल रवैये पर अड़े हुए है. वहीं छात्रो को इसका नुक्सान झेलना पड़ेगा। लेकिन अब सरकार के तरफ से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ के पदाधिकारियों की दो दिनों की मैराथन बैठक के बावजूद समस्या का हल ना निकाल पाने के बाद मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने जेएनयू के छात्रों के साथ आगे कोई बातचीत नहीं करने का फैसला किया है।
वहीं सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान मंत्रालय ने पेशकश की थी कि सर्विस चार्ज और यूटिलिटी चार्ज को फिलहाल वापस नहीं लिया जाएगा। हॉस्टल के कमरों का बढ़ा किराया (10 रुपये से 300 रुपये और 20 रुपये से 600 रुपये) कायम रहेगा। धरने की वजह से जो अकादमिक कक्षाओं का नुकसान हुआ है, उसके लिए दो हफ्ते का अतिरिक्त समय छात्रों को मिलेगा।
गौरतलब है कि अक्तूबर के बाद हुई घटनाओं को लेकर जेएनयू प्रशासन छात्रों पर नरम रुख रखेगा। जेएनयू छात्र संघ तत्काल प्रभाव से अपना आंदोलन बंद करेगा। वहीं सूत्रों के मुताबिक, बुधवार देर शाम तक चली बैठक के बाद जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने इन मांगों पर अपनी सैद्धांतिक सहमति जता दी थी और अंतिम फैसला गवर्निंग बॉडी से चर्चा के बाद करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन अब जेएनयू के छात्र उन मुद्दों पर बात करना चाह रहे हैं, जो अब तक एजेंडे में नहीं थे। मंत्रालय छात्रों के इस रवैये से निराश है।
सूत्र ने कहा कि मंत्रालय का मत है कि उसने परंपराओं से परे जाकर खुद छात्रों से मिलकर उनकी समस्या को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन छात्र अड़ियल रुख अपना रहे हैं। इसलिए मंत्रालय अब छात्रों से कोई बातचीत नहीं करेगा।
मंत्रालय कुलपति से भी खफा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय जेएनयू के कुलपति प्रो. एम. जगदेश कुमार के अड़ियल रवैये से भी खफा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुलपति ने एक छोटे से विषय को इतना बड़ा बना दिया है। अधिकारी ने कहा कि गुरुवार को कुलपति ने अन्य छात्रों को बुलाया, लेकिन छात्रसंघ के पदाधिकारियों को दूर रखा। ऐसी हरकतों से समस्या सुलझने के बजाए उलझ रही है।