मैम और सैम बच्चों की अधिकता वाले केन्द्रों को बनाएंगे ‘ आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र’, लिए जायेंगे गोद

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महराजगंज। कुपोषित तथा अति कुपोषित( मैम/ सैम) बच्चों की अधिक संख्या वाले आंगनबाड़ी केन्द्र गोद लिए जाएंगे। ऐसे केन्द्रों को गोद लेकर ‘आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र ‘ बनाने की कवायद शुरू कर दी गयी है। जिले के 3164 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से ऐसे 107 आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

Ideal Anganwadi Center

जिला कार्यक्रम अधिकारी( डीपीओ) दुर्गेश कुमार ने बताया कि पोषण, स्वास्थ्य एवं स्कूल पूर्व शिक्षा सेवाएं समुदाय को प्रदान किए जाने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र एक महत्वपूर्ण इकाई है। केन्द्र के माध्यम से छह माह से छह वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों, स्कूल छोड़ चुकी 11 से 14 वर्ष की किशोरियों तथा गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को समुचित पोषण, स्वास्थ्य एवं प्रतिरक्षण आदि सेवाएं प्रदान की जाती है।

साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा लाभार्थियों को अनुपूरक पुष्टाहार वितरण, गृह भ्रमण, पोषण संबंधी परामर्श के साथ साथ बच्चों की वृद्धि निगरानी आदि गतिविधियां की जाती है। उन्होंने बताया कि गर्भधारण से लेकर जीवन के पहले दो वर्ष तक की अवधि ( पहले 1000 दिन) पोषण के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं।

बच्चों के 90 फीसदी मस्तिष्क का विकास जन्म से दो वर्ष तक तेजी से होता है। आंगनबाड़ी केन्द्र न सिर्फ पोषण एवं स्वास्थ्य का केन्द्र है, बल्कि तीन से छह वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन ( ईसीसीई) के माध्यम से अनौपचारिक शिक्षा भी प्रदान किए जाने का स्थल भी है।

तीन-तीन आंगनबाड़ी केन्द्र गोद लेने का प्रावधान

डीपीओ ने बताया कि शासन से मिले दिशा निर्देश के क्रम में एक-एक जनप्रतिनिधि और जिला स्तरीय अधिकारी को कुपोषित/ अति कुपोषित बच्चों की अधिक संख्या वाले तीन- तीन आंगनबाड़ी केन्द्र गोद लेने का प्रावधान है। ताकि बेहतर सुविधा उपलब्ध करा कर संबंधित आंगनबाड़ी केन्द्र को ‘ आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र ‘ बनाया जा सके।

योजना का उद्देश्य

  • आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना।
  • केन्द्र पर पंजीकृत 03-06 वर्ष के ईसीसीई स्तर में सुधार लाना।
  • आंगनबाड़ी केन्द्रों की आधारभूत सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण करना।
  •  आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेने की प्रक्रिया
  • आंगनबाड़ी केन्द्र नियमित खुले एवं बंद हो।
  • पोषण ट्रैकर एप्रूव पर शत प्रतिशत लाभार्थियों का पंजीकरण हो।
  • स्कूल न जाने वाली 14 वर्ष की किशोरियों को नियमित अनुपूरक पोषाहार वितरित कराना।
  • वृद्धि निगरानी व गृह भ्रमण
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