Up Kiran, Digital Desk: हिन्दू धर्म में हर महीने आने वाली अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है, लेकिन जब बात मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या की हो, तो इसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. इसे अगहन अमावस्या भी कहते हैं. यह दिन पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले तर्पण, स्नान और दान-धर्म के कामों के लिए बेहद शुभ माना जाता है.
साल 2025 में मार्गशीर्ष अमावस्या की तारीख को लेकर कुछ लोगों में उलझन है. तो आइए, जानते हैं इसकी सही तारीख, शुभ मुहूर्त और इस दिन किए जाने वाले खास उपायों के बारे में.
किस दिन है मार्गशीर्ष अमावस्या? 19 या 20 नवंबर?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि 19 नवंबर 2025, बुधवार को सुबह 09:45 बजे से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 20 नवंबर, गुरुवार को दोपहर 12:18 बजे होगा.हिन्दू धर्म में उदया तिथि को महत्व दिया जाता है, यानी जिस तिथि में सूर्योदय होता है, उस पूरे दिन वही तिथि मानी जाती है. इस नियम के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी.
स्नान-दान और पूजा का शुभ मुहूर्त
20 नवंबर को सूर्योदय के साथ ही स्नान और दान के लिए शुभ समय शुरू हो जाएगा. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. अगर आप किसी नदी में स्नान नहीं कर सकते, तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद अपनी श्रद्धा के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए.
मार्गशीर्ष अमावस्या का इतना महत्व क्यों है?
मार्गशीर्ष का महीना भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय है. इस महीने में आने वाली अमावस्या पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना भी बेहद फलदायी माना जाता है. यह दिन पितरों को समर्पित होता है.मान्यता है कि इस दिन पितरों के नाम से श्राद्ध, तर्पण और दान करने से उन्हें शांति मिलती है और वे अपने परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये आसान उपाय
जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके जीवन में अक्सर परेशानियां बनी रहती हैं. मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन इस दोष से मुक्ति पाने के लिए बहुत खास माना जाता है. आप ये कुछ सरल उपाय कर सकते हैं:
तर्पण करें: सुबह स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल में काले तिल मिलाकर पितरों को तर्पण दें.
पीपल की पूजा: शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पेड़ की 5 या 7 बार परिक्रमा करें. इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
दान करें: इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र या तिल का दान करें. माना जाता है कि इस दिन किया गया दान कई जन्मों का पुण्य देता है.
भगवान शिव और विष्णु की पूजा: पितृ दोष की शांति के लिए भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करना भी बहुत लाभकारी होता है.
यह अमावस्या सिर्फ पितरों की शांति के लिए ही नहीं, बल्कि अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का भी एक बड़ा अवसर है.




