कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क भी वैक्सीन तरह ही काम करता है

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देश के कोरोना वायरस का संकटकाल चल रहा है । इस महामारी से बचने के लिए सरकार और वैज्ञानिकों ने गाइडलइन तय कर रखी है, जैसे मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग, सोशल डिस्टेंसिंग और कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखना । लेकिन आज हम बात करेंगे मास्क की । इस महामारी के बढ़ने की वजह एक और है कि लोगों में जागरूकता का अभी भी अभाव है ।

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आपने कई लोगों को यह भी कहते सुना होगा कि मास्क पहनने से दम घुटता है । आज सड़कों पर बहुत से लोग बिना मास्क पहले घूम रहे हैं। इन्हीं लोगों की वजह से आज देश में यह महामारी नियंत्रण में नहीं आ पा रही है । बता दें कि वायरस से बचने के लिए मास्क वैक्सीन की तरह ही काम करता है।

मास्क पहनने वालों के शरीर में वायरस की काफी कम मात्रा ही प्रवेश कर पाती है। इस कारण वायरल लोड काफी कम होता है। मास्क लगाए रखने वालों लोगों के शरीर में धीरे धीरे एंटीबॉडी विकसित होने लगती है। यह दावा इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की हाल ही में प्रकाशित एक ताजा शोध में किया गया है। देश में अगर इस महामारी को खत्म करना है तो मास्क के बहन के ही घर से निकलना होगा । इस महामारी से बचाव करने के लिए मास्क पहने की आदत डालनी होगी ।

भारतीयों का जीन ताकतवर तभी हम लोग इस महामारी से लड़ पा रहे हैं

भारतीयों के लिए कोरोना वायरस को लेकर एक राहत देने वाली खबर है । भारतीयों में इस महामारी से लड़ने की क्षमता ज्यादा है क्योंकि उनके डीएनए में एक ऐसा जीन है जो यूरोप और अमेरिका के लोगों से ज्यादा है । इसलिए भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का रिकवरी रेट सबसे अच्छा है। ये दावा किया गया है बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में।

पूरी दुनिया की अलग-अलग आबादी क्षेत्रों पर हुए रिसर्च के बाद यह बात निकलकर सामने आई है कि दक्षिण एशिया खासकर भारत में मौतें इसलिए कम हुई है, क्योंकि यहां लोगों में जीन सर्वाधिक पाए गए हैं । ये जीन कोरोना से लड़ने में शरीर को प्रतिरोधक क्षमता देता है।

अगर यूरोपियन देशों से तुलना में साउथ एशिया और भारतीय लोग 12 प्रतिशत कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं। बता देगी कोरोना की शुरुआत में इटली और यूरोपीय देशों में डेथ रेट बहुत ज्यादा थी। लेकिन भारत या साउथ एशिया के लोगों के जीनोम का स्ट्रक्चर कुछ ऐसा है कि जिसकी वजह से हमारी मृत्यु दर बहुत कम है

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