पुलिस ने कहा- डॉक्टर्ड लग रही है क्लिप, …तो क्या मौलाना साद की Audio भी फेक!

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नई दिल्ली॥ कोविड-19 संकट के हिंदुस्तान में फैलने को लेकर मीडिया में जमकर सांप्रदायिक एजेंडा चलाया गया। बीमारी के तेज़ी से बढ़ने के पीछे मरकज़ निज़ामुद्दीन के अध्यक्ष मौलाना साद और जमातियों का हाथ बताया गया। लेकिन दिल्ली पुलिस के शुरुआती जांच में सामने आया है कि साद पर लगे आरोप झूठे हो सकते हैं। एक Audio क्लिप को आधार बनाकर उनके ऊपर FIR दर्ज की गई थी। बताया जा रहा है कि वो क्लिप ही डॉक्टर्ड हो सकती है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने पाया कि मौलाना साद की जिस Audio क्लिप का FIR में जिक्र है, वो भिन्न-भिन्न Audio फ़ाइल के हिस्सों को साथ जोड़कर बनाई गई है। दिल्ली पुलिस ने साद और उनके 6 साथियों पर IPC की धारा 304 लगाई थी। उनके ऊपर आरोप है कि इनकार किए जाने के बाद भी 2,000 से अधिक लोगों को निज़ामुद्दीन मरकज़ में इकट्ठा किया।

इंटरनेट पर वायरल हुई Audio क्लिप में साद को तब्लीगी जमात के लोगों से कहते हुए सुना गया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करें। हालांकि, शुरुआती जांच में पता लगा है कि भिन्न-भिन्न क्लिप्स के हिस्सों को साथ में जोड़कर बनाई गई Audio से अलग ही मतलब निकाला गया है।

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ऐसा तभी संभव होता है जब मीडिया के एक वर्ग संप्रदायिक एजेंडा चलाकर TRP कमाता है। यदि फाइनल रिपोर्ट में ये Audio क्लिप भी डॉक्टर पाई गई तो टीवी मीडिया अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह से खो देगा।

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