कोरोना वायरस की जिस दवाई को हिंदुस्तान ने दी मंजूरी, उसे मिली बड़ी सफलता

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नई दिल्ली॥ कोविड-19 के उपचार में प्रयोग की जा रही Gilead Sciences की एंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर का बंदरों पर अच्छा असर देखने को मिला है। एक नई रिसर्च के अनुसार, ये दवा कोविड-19 से संक्रमित बंदरों में फेफड़ों की बीमारी को रोकती है। ये स्टडी मंगलवार को जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है।

प्रमाणिक मैगजीन में छपने से पहले इस स्टडी के निष्कर्षों पर अप्रैल के महीने में यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की जा चुकी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 1 जून को रेमडेसिवीर के प्रयोग को मंजूरी दे दी थी। गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 के मरीजों को अब चिकित्सकों की तरफ से ये दवा दी जा रही है।

शोध के मुताबिक, जिन बंदरों को रेमडेसिवीर दवा दी गई उनमें श्वसन रोग के कोई लक्षण नहीं दिखे और इस दवा ने इनके फेफड़ों को हुए नुकसान को भी कम किया। रिसर्च के लेखकों ने कहा कि रेमडेसिवीर से उपचार किए जा रहे बंदरों के फेफड़ों में वायरल लोड या वायरस की मात्रा भी कम पाई गई।

लेखकों ने सुझाव दिया कि COVID-19 के मरीजों में निमोनिया को रोकने के लिए रेमडेसिवीर दवा को जल्द से जल्द दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। रेमडेसिवीर कोविड-19 की पहली ऐसी दवा है जो मानव परीक्षण में पूरी तरह से प्रभावी रही है। इस दवा पर की जा रही अन्य क्लिनिकल शोध पर भी बारीकी से नजर रखी जा रही है।

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अप्रैल के आखिर में जारी एक यूएसए क्लिनिकल परीक्षण के मुताबिक, प्लेसिबो लेने वाले मरीजों की तुलना में रेमडेसिवीर लेने वाले मरीजों के अस्पताल में भर्ती मामलों में 31 फीसदी की कमी आई। गिलियड ने बीते हफ्ते रेमडेसिविर के अपने परीक्षण के डेटा की सूचना दी थी, जिसमें बताया गया था कि कोरोना वायरस के हल्के लक्षण वाले रोगियों को इस दवा का 5 दिनों का कोर्स देना असरदार रहा था।

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