इन दिनों बुध ग्रह तुला राशि में गोचर कर रहे हैं। वहीं शुक्र ग्रह भी तुला राशि में विराजमान हैं। शुक्र को नवग्रहों में काफी अहम माना जाता है। शुक्र को लग्जरी लाइफ और विदेश आदि का कारक माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र के साथ बुध की युति विशेष होती है। तुला राशि में बुध और शुक्र की युति (Mercury Retrograde) से लक्ष्मी नारायण योग बनता है जो अत्यंत शुभ होता है।
ग्रह (बुध) को मिथुन और कन्या राशि का स्वामी माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को सौम्य ग्रह का दर्जा दिया गया है। इसे सभी ग्रहों का राजकुमार भी कहा जाता है। गणित, तर्क शास्त्र, वाणी, संचार, वाणिज्य, त्वचा, हास्य आदि का कारक बुध है। बुध की उच्च राशि कन्या है जबकि मीन राशि में बुध नीच के माने गए हैं। (Mercury Retrograde)
बुध ग्रह ने 22 सितंबर को कन्या राशि से निकल कर तुला राशि प्रवेश किया। पंचांग के अनुसार 02 अक्टूबर को बुध एक बार फिर बार फिर कन्या राशि में आ जाएंगे।
वर्तमान समय बुध में तुला राशि में वक्री (Mercury Retrograde) चाल चल रहे हैं। कहने का अर्थ यह है कि बुध वक्री अवस्था में तुला राशि में गोचर कर रहे हैं। बुध 18 अक्टूबर तक इस राशि में वक्री रहेंगे। कन्या राशि में वक्री से मार्गी होकर, एक बार बुध फिर तुला राशि में राशि परिवर्तन करेंगे।
Mercury ग्रह के वक्री होने से मिथुन राशि के जातकों को अपनी वाणी और संबंधों के मामले में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। वाणी दोष की स्थिति न बनने दें। कही भी निवेश करने में जल्दबाजी न करें। मित्रों के साथ संबंध मधुर बनाए रखें।
वक्री बुध (Mercury Retrograde) होना कन्या राशि के जातको के लिए दिक्कत देने वाला है। इस दौरान त्वचा संबंधी दिक्कतें होने का खतरा बढ़ सकता है इसलिए स्वच्छता के नियमों का पालन करें। सेहत के मामले में कोई लापरवाही न करें।
तुला राशि के लोग बिजनेस के मामले में सोच समझ कर फैसला लें। भ्रम और तनाव की स्थिति में पूंजी का निवेश सोच समझ कर करें। वाद विवाद से भी बचें। खान पान और जीवनशैली पर विशेष ध्यान दें।
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