प्रवासी मजदूरों ने ऐसे बयां किया दर्द, कहा- साहब कोरोना से ज्यादा भूख से मरने का डर

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नई दिल्ली॥ वैसे तो कोविड-19 और लॉकडाउन 3.0 ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया है, लेकिन प्रवासी मजदूर तो अपना दर्द भी ठीक से बताने की स्थिति में नहीं हैं। उनकी मजबूरी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी उन्हें कोविड-19 से कम, भूख से मरने का डर अधिक है।

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चखरी दादरी में एक प्रवासी मजदूरों ने मीडिया प्रतिनिधि की तरफ से प्रश्न पूछे जाने पर अपना दर्द जिस अंदाज में बयां किया, उससे मजबूरी को हकीकत में समझा जा सकता है। एक प्रवासी मजदूर ने बताया कि साहब, काम-धंधे बंद हो गए। उनको ठेकेदारों ने निकाल दिया। यहां खाना-पानी नहीं मिल रहा है।

अब हमें कोविड-19 का नहीं बल्कि भूख से मरने का डर सता रहा है। इससे तो अच्छा है कि घर पर जाकर ही मर जाएं। हम कैसे भी अपने घर जाना चाहते हैं। चाहे हमें पैदल ही क्यों न जाना पड़े। ये पीड़ा उन सभी प्रवासी मजदूरों की है जो लॉकडाउन के दौरान अपने राज्यों में घरों तक पहुंचना चाहते हैं और रजिस्ट्रेशन करवाने मार्केटों में आए हैं।

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