नई दिल्ली॥ कोविड-19 संकट में लेबरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। वे पैदल चल रहे हैं। उनके पैरों में छाले पड़ गए हैं। बहुत से मजदूर रेल की पटरियों के किनारे चल रहे हैं, ना जाने ऐसी कितनी फोटोज़ ने हमें विचलित किया है। एक फोटो प्रवासी मजदूरों की एमपी और राजस्थान की सरहद पर बने कोटा नाका से आई है, जहां पर प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार को शौचालय में ठहराया गया है।
कोटा नाका के नाम से पहचाने जाने वाली ये जगह मध्य प्रदेश राज्य के शिवपुरी और राजस्थान के बांरा जनपद की सरहद को जोड़ती है। प्रवासी मजदूरों को यहां पर बने TOILET में ठहराया गया है। यहीं पर ये लोग खाना बनाने और खाने-पीने के लिए मजबूर हैं। सरकार की तरफ से खाना मिल रहा है, लेकिन खराब खाने की शिकायत बार-बार की जा रही है।
मजदूर औरतों ने बताया कि हम लोगों को TOILET में ठहराया गया है। हम जयपुर से यहां आए हैं। बेलदारी का काम करते थे। यहां खाना तो मिला है, लेकिन रोटियां कच्ची मिल रही हैं। ऐसे में तबीयत खराब होने का खतरा भी बढ़ गया है। यहां आस-पास कोई डॉक्टर तक नहीं है। अब गांव में ही खेती करके गुजारा करेंगे। कोविड-19 समाप्त होने के बाद भी वापस नहीं आएंगे।