आजकल लोग काम करते समय लैपटॉप के सामने या काम के बाद फोन के सामने समय बिताते हैं। जाहिर है इससे आंखों पर तनाव पड़ता है। कई लोग सोचते हैं कि ऐसे में फोन की ब्राइटनेस कितनी होनी चाहिए ताकि आंखों पर दबाव न पड़े?
कई लोगों का मानना है कि चमक कम से कम रखनी चाहिए। इससे आंखों पर दबाव कम हो जाता है।
कई लोगों का मानना है कि चमक बढ़ानी चाहिए. ताकि स्क्रीन पर जो लिखा है उसे पढ़ते समय आंखों पर ज्यादा दबाव न पड़े।
नेत्र रोग विशेषज्ञ इन बातों से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं. उनके मुताबिक इसके लिए कोई निश्चित पैटर्न नहीं है.
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत कम चमक से फोन को करीब से देखने में आपकी आंखों पर दबाव पड़ेगा। वहीं, रात के समय 50 प्रतिशत से ज्यादा चमक आंखों की समस्या का कारण बनती है।
हालांकि, एक छोटी सी बात का ख्याल रखकर आप फोन की ब्राइटनेस के कारण आंखों पर पड़ने वाले तनाव से बच सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, फोन की चमक हमेशा आसपास की रोशनी के समानुपाती होनी चाहिए । उदाहरण के तौर पर अगर आप बाहर जा रहे हैं तो फोन की ब्राइटनेस बढ़ा लें। साथ ही रात को भी आधा कर दें.
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