कोरोना संकटकाल और डूबती अर्थव्यवस्था के बीच मोदी सरकार का कल ‘बजट इम्तेहान’

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शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

किसी भी केंद्र सरकार के लिए अपनी योजनाओं और नीतियों का बखान करने के लिए ‘बजट’ की परीक्षा सबसे बड़ी मानी जाती है ।‌ बजट यह बताता है कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष क्या किया और आने वाले वर्ष में क्या करने जा रही है । सही मायने में बजट बीते साल का वह लेखा-जोखा होता है जो अगले वर्ष का भविष्य निर्धारण करता है । सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले वर्ष पेश किए गए बजट की घोषणाओं में सरकार कितना खरा उतरी

। कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए भी केंद्र सरकारों को आम और खास लोगों की उम्मीदों को पूरा करने की बड़ी चुनौती होती है । बजट के पिटारे से निकली तमाम योजनाएं और वादे देश की अर्थव्यवस्था पर असर डालते हैं, साथ ही यह बजट आम और खास लोगों की जिंदगी से भी जुड़ा हुआ होता है । इसीलिए हर वर्ष फरवरी में पेश किए जाने वाले बजट पर पूरे देश की निगाहें लगी होती हैं । जी हां आज 31 जनवरी, रविवार है ।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तैयारी में जुटी

कल 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में अपने पिटारे से आर्थिक बजट को पेश करने की तैयारी में जुटी हुईं हैं । यहां हम आपको बता दें कि बजट पेश होने वाला दिन साल का वो दिन भी होता है, जब लोगों को राजकोषीय घाटा, विनिवेश, कैपिटल गेन्स टैक्स, पुनर्पूंजीकरण जैसे शब्द सुनाई देते हैं। लेकिन प्रत्येक भारतीय की नजर इस बात पर भी होती है कि अब उन्हें कितना टैक्स देना होगा और कौन सी चीजें सस्ती या महंगी हुई हैं ।

आइए आज बजट को लेकर कुछ चर्चा की जाए । वित्त मंत्री का भाषण भी बजट डॉक्युमेंट का ही एक हिस्सा होता है और यह बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है । इस बार अर्थव्यवस्था में सुस्ती, वित्तीय क्षेत्र के संकट मसलन बढ़ते डूबे कर्ज और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में नकदी के संकट, रोजगार सृजन, निजी निवेश, निर्यात में सुधार, कृषि क्षेत्र के संकट और सार्वजनिक निवेश बढ़ाने की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए बड़ी चुनौती होगी ।

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केंद्र सरकारें बजट को लेकर हमेशा से विपक्ष के निशाने पर रहीं हैं

बजट पेश करने के लिए केंद्र सरकार का वित्त मंत्रालय के साथ कई दिनों पहले अपनी तैयारी भी शुरू कर देता है । बजट को लेकर केंद्र सरकार और मित्र मंत्री को तमाम प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । बजट को लेकर केंद्र सरकार है हमेशा विपक्ष के निशाने पर रही हैं । बजट विपक्ष को कभी रास नहीं आया, विरोधी पार्टियां कमियां निकालती रहीं हैं । इसके अलावा वित्त मंत्री को देश की जनता को भी साधने की चुनौती भी होती है ।

क्योंकि बजट को लेकर आम और खास अपनी-अपनी उम्मीदें लगाए हुए होते हैं । बता दें कि इस बार बजट पेश करने की चुनौती जितनी केंद्र की भाजपा सरकार को है उससे अधिक उम्मीद देशवासी लगाए हुए हैं क्योंकि ये बजट कोरोना काल से उभरते भारत का बजट होगा । आर्थिक सर्वेक्षण में कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से पुनरुद्धार की उम्मीद जताई गई है ।

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संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री के दो भाग के भाषण होते हैं

यहां हम आपको बता दें कि संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री के दो भागों में भाषण होते हैं । यही नहीं वित्त मंत्री का यह लंबा भाषण भी माना जाता है । पहले भाग में वित्त मंत्री आने वाले वित्त वर्ष के लिए उम्मीदों और रिफॉर्म्स की दिशा में काम करने का एलान करते हैं, इसमें किसानों, ग्रामीण क्षेत्र, स्वास्थ्य, शिक्षा, छोटे व मध्यम स्तर के उद्योग, सर्विस सेक्टर, महिलाओं, स्टार्ट-अप, बैंक व वित्तीय संस्थान, कैपिटल मार्केट, इन्फ्रास्ट्रक्चर व अन्य योजनाओं और प्लान्स के बारे में जानकारी होती है । वित्त मंत्री द्वारा विनिवेश, राजकोषीय घाटा, सरकार बॉन्ड मार्केट के जरिए कैसे पैसे निकालेगी आदि के बारे में जानकारी दी जाती है ।

बजट के दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के बारे में एलान होता है । यही वो हिस्सा होता है, जब इनकम टैक्स स्लैब्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन्स टैक्स, कस्टम और एक्साइज ड्यूटी आदि के बारे में एलान किया जाता है । चूंकि, वस्तु एवं सेवा कर अब जीएसटी काउंसिल के दायरे में आता है, इसलिए यह बजट में शामिल नहीं होता है ।

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बजट को बहुत गुप्त रखा जाता है, वित्त मंत्रालय में किसी को नहीं होती जाने की इजाजत

बता दें कि बजट बहुत ही गुप्त तरीके से बनाया जाता है । वहां किसी भी को आने-जाने की इजाजत नहीं होती है । वित्त मंत्रालय के अधिकारियों-कर्मचारियों की बाहरी लोगों से संपर्क पर पाबंदी भी लग जाती है । यह पाबंदी तब तक लागू रहती है, जब तक बजट पेश नहीं कर दिया जाता। बजट पेश होने तक आम लोगों और मीडिया को वित्त मंत्रालय में नहीं आने दिया जाता है ।

दिल्ली पुलिस के सहयोग से खुफिया ब्यूरो के लोग बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के कमरों में जाने वाले लोगों पर निगाह रखी जाती है ।

मंत्रालय में ज्यादातर कंप्यूटरों पर ई-मेल की सेवा ब्लॉक रहती है । बता दें कि कल यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऐसे समय बजट पेश करने जा रही हैं, जब आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़कर पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है । सितंबर तिमाही में जीडीपी का ग्रोथ रेट घटकर 4.5 फीसदी पर आ गया । इससे भारत ने दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का ताज गंवा दिया ।

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