अमेरिका। कोरोना के बाद मंकीपॉक्स वायरस के नए मामले मिलने से दुनिया भर में हड़कंप मच गया है। अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन में भी इसके दो और केस सामने आये हैं। यानी ब्रिटेन में अब तक कुल 9 लोग इस वायरस का शिकार हो चुके हैं। इसके साथ ही कुछ मामले पुर्तगाल और स्पेन से भी देखने को मिल रहे हैं। ये वायरल आमतौर पर ऐसे लोगों को अपना शिकार बना रहा है जो पश्चिम अफ्रीकी देशों से लौट कर आ रहे हैं। आखिर कितना खतरनाक है ये वायरस और क्या हैं इसके लक्षण? आइये एक नज़र डालते हैं।
- ये मंकीपॉक्स वायरस से फैलता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये चेचक के वायरस की फैमिली से ही ताल्लुक रखता है। हालांकि ये बहुत अधिक गंभीर नहीं है और इसके संक्रमण की भी संभावना कम रहती है।
- ये अधिकतर उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के पास, मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के दूरदराज के इलाकों में पाया जाता है। वायरस के दो मुख्य प्रकार हैं – पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी।
- एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में संक्रमित रोगियों में से दो ने नाइजीरिया को यात्रा की इसलिए संभावना जताई जा रही है कि ये वायरस के पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से पीड़ित हैं। ये वायरस आमतौर पर हल्का होता है, लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
- इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सामान्य रूप से सुस्ती होती है।
- एक बार जब बुखार ठीक हो जाता है तो शरीर पर एक दाने निकलने लगते हैं। ये दाने अक्सर चेहरे पर शुरू होते हैं, फिर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते हैं, आमतौर पर हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में।
- इन दानों में खुजली भी हो सकती है। बाद में ये पपड़ी बनकर झड़ने लगते हैं। घाव निशान बन सकते हैं। आमतौर पर ये संक्रमण अपने आप खत्म हो जाता है लेकिन 14 से 21 दिनों तक इसका असर रहता है।
- मंकीपॉक्स वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी हो सकता है। ये वायरस त्वचा, रेसिपेटरी ट्रैक या आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
- ये वायरस संक्रमित जानवरों जैसे बंदरों, चूहों और गिलहरियों या वायरस से दूषित वस्तुओं, जैसे बिस्तर और कपड़ों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
- हालांकि वायरस के अधिकांश मामले हल्के होते हैं, कई बार ये चेचक के समान दिखते हैं लेकिन कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं।
- मंकीपॉक्स वायरस कई बार अधिक गंभीर भी हो सकता है। पश्चिम अफ्रीका में इस वायरस से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।