मेरे पापा तो पुलिसवाले हैं, सब कहते हैं कि वह कम पढ़े-लिखे हैं, सन्देश वायरल

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दिल्ली पुलिस के जवानों के समर्थन में इस तरह के मैसेज सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। ये मेसेज वायरल हो रहे हैं। वकील अंकल मेरे पापा तो पुलिसवाले हैं। सब कहते हैं कि वह कम पढ़े-लिखे हैं। गंवार टाइप हैं। कानून की जानकारी में फिसड्डी हैं। लेकिन आप तो पढ़े-लिखे, सम्य और कानून के जानकार हैं….। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ‘वकील अंकल मेरे पापा तो पुलिस वाले हैं..’

मैसेज एक बच्चा दिखा रहा है। इस मैसेज में आगे लिखा है कि मेरे पापा ने आपके किसी साथी से बहस की और उसे पकड़ भी लिया तो आपको 100 नंबर पर कॉल करनी चाहिए थी। आप जज साहब के पास जाकर शिकायत कर सकते थे। आप तो बड़े लोग हैं..कई बार पुलिसवालों की वर्दी उतरवाने की धमकी देते हैं। आपके पास डीसीपी का नंबर है। आप उनको कॉल कर सकते थे। आपने मेरे पापा को क्यों मारा।

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कानून अपने हाथ में क्यों लिया? दूसरे वायरल मैसेज में कहा गया है, ‘दिल्ली की जनता से निवेदन है कि दिनांक 5 और 6 नवंबर को दिल्ली पुलिस आपकी सेवा नहीं कर पाएगी। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दिल्ली पुलिस दो दिन काम पर नहीं आ पाएगी। दिल्ली पुलिस के तमाम कर्मचारी पुलिस मुख्यालय पर एकत्र होंगे। हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इन मेसेज को लेकर दिल्ली पुलिस के अधिकारी कुछ भी कहने से बचते रहे। तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच शनिवार को हुए बवाल के बाद सोमवार को वकीलों ने अदालतों में काम बंद कर पुलिस का विरोध किया।

इससे हाईकोर्ट व निचली अदालतों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। सभी अदालतों में सुनवाई को स्थगित किया गया है। अदालतों में वकीलों ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने की मांग की। हाईकोर्ट के वकीलों का विरोध शांतिपूर्ण रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्य नागिंदर बेनिपाल ने कहा कि वकीलों की मांग है कि वकील पर गोली चलाने वाले सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए। साथ ही, दिल्ली पुलिस के जिन वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले के आदेश हुए हैं, उन्हें बर्खास्त करना चाहिए।

दूसरी ओर, तीस हजारी कोर्ट में सुबह भारी संख्या में वकील पहुंचे और शाम तक पुलिस के विरोध में प्रदर्शन करते रहे। इस दौरान आने वाले लोगों को कोर्ट परिसर में तो प्रवेश मिल गया, लेकिन कोर्ट बिल्ंिडग में जाने की अनुमति नहीं दी गई। लिहाजा मामलों की सुनवाई के लिए आने वाले लोगों को परेशानी हुई। इस दौरान किसी भी अदालत में सुनवाई नहीं हुई और सभी मामलों में अगली तारीख दे दी गई।

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