भारत में मंदिरों की काफी संख्या है। इन सभी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ हमेशा जमा रहती है। व्ही कुछ मंदिर ऐसे ही भी है जो तमाम रहस्यों से भरे हैं। कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनको लेकर अलग-अलग तरह की अफवाहें हैं जिसके चलते लो वहां जाने से बचते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे जिसे शापित कहा जाता है। इस मंदिर में सूर्यास्त के बाद कोई नहीं प्रवेश करता।
राजस्थान के बाड़मेर में है यह मंदिर
हम बात कर रहे हैं राजस्थान में स्थित किराड़ू मंदिर की। यह बाड़मेर जिले में स्थित है। इस मंदिर को किराड़ू का शापित मंदिर भी कहते हैं। ये मंदिर बाड़मेर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह भगवान शिव का मंदिर है और इसके 5 मंदिरों के समूह को सोलंकी शैली में बनाया गया है। हालांकि यहां के कुछ मंदिरों में खुजराहो के मंदिरों जैसी शिल्पकला भी देखने को मिलती है। ये मंदिर हजारों साल पुराने हैं।
ये है श्राप के पीछे की कहानी
कोई इस मंदिर को कोई भुतहा कहता है तो कोई शापित। सूर्यास्त के बाद इस मंदिर में जाना तो दूर लोग इसके आसपास भी नहीं रहना चाहता। बताया गया है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था। उस वक्त इस जगह को किरादकोट के नाम से जाना जाता था और यहां पर विदेशी आक्रमण भी खूब होते थे। इन आक्रमणों की वजह से यहां के राजा और प्रजा दोनों ही परेशान थे। उस वक्त के राजा सोमेश्वर ने आक्रमणों से बचने के लिए एक साधू से मदद मांगी जिस पर वह साधू मदद को तैयार हो गए। इसके बदले में राजा ने उनसे वादा किया कि वह उनका और उनके शिष्यों का पूरा ध्यान रखेंगे।
साधू ने कुछ ऐसा उपाय किया जिससे वहां हमले बंद हो गए। इसके कुछ समय के बाद वह साधू यहां से कहीं और चले गए लेकिन वह अपने एक शिष्य को यहां पर छोड़ गए। साधू के राज्य से जाते ही राजा ने उनके शिष्य का ख्याल रखना बंद कर दिया। हालात ये हो गयी कि शिष्य कुछ दिन बाद बीमार हो गया। इस दौरान भी उसकी किसी ने कोई मदद नहीं की। बस एक कुम्हार की पत्नी थी जो उसकी खूब सेवा करती थी। जब साधू वापस आये और शिष्य की ऐसी हालत देखी तो उस कुम्हार की पत्नी को छोड़कर सभी को श्राप दे दिया कि जिस स्थान पर इंसानियत नहीं है वहां के सभी लोग पत्थर के हो जाएं।
साधू के श्राप की वजह से वहां के सभी लोग पत्थर के हो गए। इसके बाद साधू ने कुम्हार की पत्नी से कहा कि वह फौरन यह जगह छोड़कर चली जाए और जाते समय वह पीछे मुड़कर न देखे लेकिन उस महिला ने साधू की बात नहीं मानी और पीछे मुड़कर देख लिया। इसके बाद वह भी पत्थर की हो गई।
क्या है हकीकत?
हालांकि इस मंदिर को लेकर अफवाह है कि जो भी इंसान इस मंदिर में सूर्यास्त के बाद जाता है उसका विनाश होता है लेकिन कई रिसर्चर इसमें सूर्यास्त भी गए और सही सलामत वापस भी लौटे। कई लोगों ने तो रात रूककर वीडियो भी बनाई है।