मिथक या संयोग : इस राज्य की विधानसभा में कभी भी एक साथ नहीं बैठे पूरे विधायक, जानिए क्यों

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जयपुर। कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद अब राजस्थान विधानसभा की दो सीटें खाली हो गई हैं। मेघवाल से पहले पिछले महीने सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश चंद्र त्रिवेदी का भी निधन हो गया था।

त्रिवेदी को कोरोना संक्रमण हुआ था। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उनकी तबीयत खराब हुई और बाद में उनका निधन हो गया। मेघवाल भी इसी साल ब्रेन हेमरेज होने की वजह से गुडग़ांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए थे। यहां करीब 7 महीने से उनका इलाज चल रहा था। लंबी बीमारी के बाद सोमवार को उनका निधन हो गया। नियम है कि विधानसभा सीट खाली होने के छह माह के भीतर उप चुनाव करवाने होते हैं। मेघवाल चूरू के सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक थे।

200 legislators never sit in assemblyma

राजस्थान विधानसभा भवन में पिछले 20 साल से पूरे 200 विधायक कभी एकसाथ नहीं बैठने का संयोग इस बार भी है।
2000 में विधानसभा भवन का निर्माण हुआ लेकिन निर्माण के समय आधा दर्जन मजदूरों की विभिन्न कारणों से मौत हो गई। पुराने विधायकों व स्थानीय लोगों का कहना है कि इस विधानसभा भवन के निर्माण के लिए मोक्षधाम की जमीन ली गई थी। 17 एकड़ में फैले इस भवन से करीब 200 मीटर दूरी पर अब भी मोक्षधाम है। पास में ही एक मजार भी है। 25 फरवरी 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन को नए विधानसभा भवन का उद्घाटन करना था लेकिन वे बीमार हो गए थे। बिना उद्घाटन के ही विधानसभा शुरू हुई थी।

शिफ्टिंग के बाद से पूरे पांच साल नहीं बैठे सभी विधायक:

2000 तक विधानसभा जयपुर के पुराने शहर में चलती थी। 2001 में ज्योतिनगर में नया भवन बनकर तैयार हुआ तो विधानसभा यहां शिफ्ट हो गई। नए भवन में शिफ्टिंग के बाद से चला आ रहा संयोग है कि पिछले 20 साल से एकसाथ 200 विधायक पूरे पांच साल मौजूदा भवन में नहीं बैठे। नए भवन में शिफ्टिंग के साथ ही तत्कालीन दो विधायकों मंत्री भीमसेन चौधरी व लूणकरणसर विधायक भीखा भाई की मौत हो गई थी। 2002 में कांग्रेस विधायक किशन मोटवानी व 2002 में भाजपा विधायक जगत सिंह दायमा की मौत हो गई। इसके बाद 2004 में गहलोत सरकार के तत्कालीन मंत्री रामसिंह विश्नोई की मौत हो गई। 2005 में विधायक अरूण सिंह व 2006 में नाथूराम अहारी का निधन हो गया। 2008 से 2013 के सदन का कार्यकाल तो कई विधायकों के लिए अपशगुन भरा रहा। तत्कालीन भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ दारा सिंह एनकाउंटर मामले में जेल गए तो तत्कालीन गहलोत सरकार के मंत्री महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान सिंह चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड में जेल गए। गहलोत सरकार के एक और मंत्री बाबूलाल नागर दुष्कर्म के मामले में जेल गए।

2014 के आम चुनाव में चार विधायकों के सांसद बन जाने के कारण फिर सभी 200 विधायक सदन में एकसाथ नहीं बैठे। उप चुनाव हुए और सभी 200 सीटें भरी तो बसपा के तत्कालीन विधायक बाबूलाल कुशवाह जेल चले गए। भाजपा से मांडलगढ़ विधायक कीर्ति कुमारी, मुंडावर विधायक धर्मपाल चौधरी और नाथद्वारा विधायक कल्याण सिंह की मौत हो गई। 2018 में विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी की मौत हुई तो 199 सीटों पर ही चुनाव हुए। इस तरह जब विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ तो 199 विधायक ही बैठे। रामगढ़ सीट पर उप चुनाव हुए और कांग्रेस की साफिया जुबैर विधानसभा में पहुंची तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल संसद में पहुंच गए। इस तरह फिर 199 सीट रह गई। अब विधायक त्रिवेदी व मास्टर भंवरलाल की मौत हो गई।

पिछले दो दशक में एक दर्जन से अधिक विधायकों की मौत हुई है। वर्ष 2001 के बाद से कोई सत्र ऐसा नहीं रहा जब विधानसभा में पूरे 200 विधायक मौजूद रहे हो। कुछ दिन के लिए 200 विधायक हुए भी तो ज्यादा दिन तक कायम नहीं रहे। राजस्थान के नए विधानसभा भवन के साथ यह मिथक जुड़ा है कि यहां 200 विधायक एकसाथ नहीं बैठ पाए हैं।

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