Nag Panchami 2022: नाग पंचमी के दिन ही खुलते हैं इस मंदिर के कपाट, जानें क्या है कथा

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आज पूरा देश नाग पंचमी (Nag Panchami 2022) का त्यौहार मना रहा है। इस दिन महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर के तीसरे खंड में स्थित भगवान श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात 12 बजे खुल गए हैं। ये मंदिर साल में सिर्फ एक दिन यानी नाग पंचमी पर ही खुलता है। इसी दिन भक्तों को नाग देवता के दर्शन होते हैं। इस दिन मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खुले रहेंगे। हिन्दू पंचांग में बताया गया है है कि सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खुलते हैं। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है।

नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा

नागचंद्रेश्वर मंदिर में मौजूद प्रतिमा में फन फैलाए हुए नाग के आसन पर शिवजी के साथ माता पार्वती विराजमान हैं। कहा जाता है कि ये दुनिया की एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें भगवान शिवजी नाग शैय्या पर विराजमान हैं। इस मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ ही सप्तमुखी नागदेव की भी प्रतिमा है। मंदिर में दोनों देवताओं के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं। वहीं भगवान शंकर के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हुए हैं। (Nag Panchami 2022)

तक्षक नाग से जुड़ा है मंदिर का नाश

पौराणिक कथा है कि महाकाल वन में तक्षक नाग ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद प्रदान किया था तभी से तक्षक नाग यहां वास कर रहे हैं। महाकाल वन में वास करने के पीछे तक्षक की मंशा थी कि उनकी तपस्या में कोई विघ्न न पड़े। यही वजह है कि नाग पंचमी के दिन ही इस मंदिर के कपाट खुलते हैं।(Nag Panchami 2022)

तीसरे खंड में हैं भगवान नागचंद्रेश्वर

विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख भगवान महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में विभक्त है। इसमें सबसे नीचे यानी पहले खण्ड में भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओमकारेश्वर और तीसरे खंड में भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन करने से भगवान शंकर और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें कि नाग पंचमी (Nag Panchami 2022)  के दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने की परंपरा है, इसलिए यहां पर भी पूजन-अर्चन के दौरान महंत द्वारा नाग की प्रतिमा पर दूध चढ़ाया जाता है। उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मन्दिर में मौजूद मूर्ति 11वीं शताब्दी के परमार काल की बताई जाती है।

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