Navratri 2021: नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से प्रसन्न होती हैं माता, ऐसे पूरा करें सभी अध्याय

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हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर तरफ मां के जयकारे लगते हैं। हिंदू परिवारों में शारदीय नवरात्रि और वासंतिक नवरात्रों में मां दुर्गा की आराधना करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। धार्मिक मान्यता है के दुर्गा मां की आराधना करने से इंसान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। नवरात्रों में मां भगवती के आराधक विभिन्न प्रकार के मां को प्रसन्न करने के प्रयत्न करते हैं। नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र- प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र और 13 अध्याय हैं। आजकल व्यस्तता की वजह से कुछ लोग दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ नहीं कर पाते ऐसे में उनके लिए शास्त्रों में एक और विधान बताया गया है।

Navratri 2021

  • प्रथम नवरात्रि को प्रथम अध्याय का पाठ करें।
  • दूसरे नवरात्रि पर द्व्तीय और तृतीय अध्याय का पाठ करें।
  • तीसरे नवरात्रि को चतुर्थ अध्याय का पाठ करें।
  • चौथे नवरात्रि को पंचम, षष्ठम, सप्तम और अष्टम अध्याय का पाठ करें।
  • पांचवें नवरात्रि को नवम और दशम अध्याय का पाठ करें।
  • छठे नवरात्र को 11 वें अध्याय का पाठ करें।
  • सातवें नवरात्रि को 12 और 13 अध्याय का पाठ करें।
  • यह क्रम उन व्यक्तियों के लिए है जो हर रोज 13 अध्याय नहीं पढ़ सकते।

दुर्गा सप्तशती में मां के तीन चरित्रों का वर्णन किया गया है। प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तर चरित्र। प्रथम चरित्र में महाकाली की आराधना की गयी है। इस चरित्र का प्रथम अध्याय है। मध्यम चरित्र में महालक्ष्मी की आराधना की गयी है। इसमें द्वितीय,तृतीय और चतुर्थ अध्याय आते हैं। उत्तर चरित्र में महासरस्वती की आराधना है। इसमें छह से अध्याय 13 तक के पाठ सम्मिलित हैं। अगर इंसान शत्रुओं से घिरा है उनके बीच से निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा हो, संकट का आभास हो रहा हो या फिर विपत्ति निवारण के लिए तो इंसान को दुर्गासप्तसती का पाठ अवश्य करना चाहिए। प्रथम अध्याय का पाठ नियमित रूप से अथवा नवरात्रों में करना चाहिए।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए,धनधान्य वृद्धि के लिए,व्यापार अधिक में उन्नति के लिए मध्यम चरित्र में महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। पूरे नवरात्रों में मध्यम चरित्र के तीनों अध्यायों का ही पाठ करना चाहिए।उत्तर चरित्र के अध्याय छह से अध्याय 13 तक के नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। इस पाठ को करने से इंसान को ज्ञान, बुद्धि ,मोक्ष, भक्ति और शांति मिलती है। उत्तर चरित्र में महा सरस्वती की उपासना करनी चाहिए।

  • प्रथम अध्याय का पाठ करने से चिंताओं से निजात मिलती है।
  • द्वितीय अध्याय का पाठ करने से मुकदमा,कोर्ट कचहरी आदि में सफलता मिलती है।
  • तृतीय अध्याय से शत्रु मुक्ति और भय से दूर होता है।
  • चौथे अध्याय का पाठ करने से भक्ति मुक्ति व शांति मिलती है।
  • पांचवें अध्याय का पाठ करने से कार्यों में सफलता मिलती है और माता के प्रति भक्ति जागृत होती है।
  • छठे अध्याय के पाठ करने से भय दूर होता है और काम में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
  • सातवें अध्याय का पाठ करने से मनोवाँछिति फल मिलता है।

 

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