ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ को लेकर SC में नई याचिका दाखिल, रखी गई ये मांग

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वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल की गई है. याचिका में मांग की गई है कि मस्जिद में मिले ‘शिवलिंग’ को एएसआई द्वारा की गई कार्बन डेटिंग होनी चाहिए। इससे इसकी ऐतिहासिकता और प्रामाणिकता साबित होगी। 7 हिंदू महिलाओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सर्वे भी होना चाहिए. इस मामले की सुनवाई करते हुए इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ज्ञानवापी में जिस स्थान पर ‘शिवलिंग’ मिला है, उसकी रक्षा की जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष को अगले आदेश तक किसी अन्य स्थान पर वुज़ू करने का आदेश दिया था।

महिलाओं ने अधिवक्ता विष्णु जैन के माध्यम से याचिका दायर कर श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ को लेने का आदेश देने की मांग की है। इसके अलावा पुराने मंदिर से सटी जमीन पर कब्जा कर लें। याचिका में कहा गया है कि वहां बैठे शिवलिंग की समय गणना नहीं की जा सकती है। इसकी परिधि में आने वाली 5 कोस भूमि पर मंदिर का अधिकार है। याचिका दायर करने वाली महिलाओं में एक वकील, एक प्रोफेसर और 5 सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ की ऐतिहासिकता का पता जीपीआर सर्वे और कार्बन डेटिंग से ही लगाया जा सकता है.

याचिका में कहा गया है कि पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया। यह वक्फ भूमि नहीं है। आवेदन में महिलाओं ने कहा कि ज्ञानवापी में पाया जाने वाला ‘शिवलिंग’ स्वयंभू यानि स्वयं अवतार है, जबकि नए मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग रानी अहिल्या बाई होल्कर के युग का है। इतना ही नहीं, उनका कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 के तहत नए मंदिर परिसर के अलावा पुराने मंदिर का क्षेत्र भी आता है। इसका मतलब यह है कि भक्त मुख्य परिसर में पूजा-अर्चना करने के अलावा पास के मंदिरों, स्थापित मूर्तियों की भी पूजा कर सकते हैं।

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