मरने से पहले निर्भया के दोषी को लगा डर, फांसी से बचने को दिए वेद-पुराण के तर्क

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नई दिल्ली॥ बताया जाता है जब मौत आती है तब इंसान को अपने किए गए सभी बुरे कर्मों की याद आती है और पछतावा होता है। इसी दौरान वो ईश्वर से जुड़ी बातों पर भी विश्वास करने लगता है। ऐसा ही कुछ निर्भया रेप कांड के दोषियों के साथ भी हो रहा है। मरने से पहले अब उन्हें वेद़-पुराणों में लिखी़ गई बातें ध्यान आ रही हैं। इतना ही नहीं वो फांसी से बच़ने के लिए अजीबो-गरीब तर्क भी दे रहे हैं।

निर्भया कांड के दोषियों में से एक अक्षय कुमार ने फांसी की सजा के खिलाफ अर्जी में अजीब तर्क दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका में उसने कहा कि जब दिल्ली की खराब हवा और पानी के काऱण लोगों की उम्र छोटी होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है। अक्षय ने दलील दी है कि एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है।

यहां का पानी भी जहरीला हो चुका है, जिससे लोगों की जिंदगी घटती जा रही है। यही नहीं अक्षय की तरफ से दायर पुनर्विचार अर्जी में उसके वकील एके सिंह ने वेद पुराण और उपनिषद में लोगों की हजारों साल तक जीने का हवाला भी दिया है। अर्जी में कहा गया है कि इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे, त्रेता युग में भी 1-1 आदमी हजार साल तक जीता था, लेकिन अब कलियुग में आदमी की उम्र 50-60 साल तक सीमित रह गई है।

कम लोग ही 80-90 साल की उम्र तक पहुंच पाते हैं। जब कोई व्यक्ति जीवन की कड़वी सच्चाई और विपरीत हालात से गुजरता है तो वह एक शव से ज्यादा कुछ नहीं होता। अक्षय की 29 माह देरी से दायर याचिका पर कोर्ट सुनवाई करेगा, क्योंकि यह मृत्युदंड का मामला है।

नौ जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले में तीन दोषियों विनय, मुकेश और पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। तब अक्षय ने अर्जी दायर नहीं की थी। अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट एक दो दिन में निर्णय ले सकता है। हालांकि तारीख तय नहीं है पर इस पर जल्द ही फैसला होगा।

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