भले ही पंजाब पराली की वजह से बदनाम है, लेकिन अब किसान इससे मुंह मोड़ रहे हैं. पिंड में भारी तादाद में किसान अब इसे आमदनी का जरिया बनाने लगे हैं. देश में बढ़ते एयर पॉल्यूशन के लिए राज्य के किसानों को जिम्मेदार ठहराया जाता है.
पर अब कई कृषकों ने पराली को बायोमास प्लांट और बॉयलर्स को लाखों रुपये में बेचना शुरू कर दिया है. जहां कुछ वर्ष पहले किसान पराली को एक दोष मानते थे, वहीं अब वे इसे आमदनी का जरिया मानने लगे हैं।,गुरदासपुर स्थित सहरी गांव के किसान पलविंदर सिंह ने पराली को अपनी इनकम का साधन बनाया है। पलविंदर सिंह ने बीते वर्ष एक बेलर खरीदा था। इससे वे खेतों में पराली की गांठे बनाते हैं।
आफको बता दें कि बेलर एक खेती करने वाली मशीन है। इसे ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है। ये खेत में पराली को एकत्र करती है और उसे गांठों में बदल देती है। पलविंदर ने बताया कि बीते वर्ष हमने 1,400 टन पराली की आपूर्ति की थी और इस साल हम तीन हजार टन पराली की आपूर्ति की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने अपने आस-पास के गांवों से पराली एकत्र करते हैं। फिर, इसे पठानकोट में एक बिजली उत्पादन कंपनी को बेचते हैं। उन्होंने कहा कि वह गुज्जरों को भी गांठें बेच रहे हैं। वे लोग इसे पशु चारे के रूप में उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि वो और उनके सहयोगियों ने 12 महीने के अंदर अपना सारा पैसा पहले ही वसूल कर लिया है। इस साल 15 लाख रुपये तक कमाई का अनुमान है।
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