टीकाकरण की वजह से कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए टीके के प्रोडक्शन की जगह बहुत अहमियत रखती है। अधिकतर टीकों का उत्पादन अमरीका एवं यूरोप में हो रहा है। इन मुल्कों को वैक्सीन की खुराक पहले मिल रही है क्योंकि वहीं पर टीके का प्रोडक्शन हो रहा है।
ये राष्ट्र निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसे तरीकों का उपयोग करके ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि ग्लोबल मार्केट से पहले उनकी जनता को वैक्सीन मिले।
फाइजर सबसे अधिक वैक्सीन डोज़ बना रही है मगर ये टीका उन अमीर देशों तक पहुंच रहा हैं जो इसे ज्यादा मूल्यों में खरीद रहे हैं। एस्ट्राज़ेनेका का प्रोडक्शन यूरोप और इंडिया में हो रहा है और इसका वितरण भी वहीं तक सीमित है।
एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ चीन ही बड़े पैमाने पर वैक्सीन का प्रोडक्शऩ कर रहा है और अभी तक 26।3 करोड़ डोज़ विदेश भेज चुका है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र की वैक्सीन वितरण का प्लॉन कोवैक्स से भी अधिक वैक्सीन दूसरे देशों तक पहुँचाई है। निश्चित रूप से चीन का वैक्सीन वितरण के मामले में दबदबा है। एक जानकार ने बताया कि रूस ने वादे तो बहुत किए मगर कुछ ठोस नहीं कर पाया।