नई दिल्ली॥ केंद्रीय एदारा-ए-शरिया के संयोजक मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा है कि सीएए और NRC मुसलमानों के साथ ही दलित और पिछड़े वर्ग के लोग भी प्रभावित होंगे। इन सबके बीच देश के साधू संत तो विदेषी घोषित हो जायेंगे। ऐसा माना जाता है कि साधू संतों का न तो अपना कोई घर होता है और न ही ठिकाना। मंदिर-मठ ही उनका असली ठिकाना होता है।
NRC लागू होने के बाद साधू संतों के सामने खुद को भारत का नागरिक साबित करने की एक बड़ी चुनौती होगी। बहुसंख्यक समाज का एक तबका इस बात को समझ रहा है और इसी कारण वह भी सीएए और एनसीआर का विरोध कर रहा है। उन्होंने यह दावा कि मुसलमान तो खुद को भारत का नागरिक साबित कर देंगे लेकिन दलितों, पिछड़ों और साधू संतों खुद का भारत का नागरिक साबित करने की चुनौती होगी। इसमें कोई आष्चर्य नहीं होगा कि ऐसे लोग विदेषी घोषित कर दिये जायेंगे।
मौलाना बलियावी दिल्ली में हैं और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एदारा-ए-षरिया की ओर से दायर याचिका पर देष के वरिष्ठ वकीलों से विचार विमर्ष कर रहे है। वह गुरूवार को मीडिया से बात कर रहे थे। मौलाना बलियावी ने कहा कि असम में NRC लाया गया। इसके तहत 19 लाख लोग भारत की नागरिकता साबित नहीं कर पाये। बताया जा रहा है कि यदि मुस्लिमों के बाद इस कानून से किसी को परेशानी होगी तो वह हैं दलित समुदाय के लोग।
यह भी दावा किया गया कि अभी तक छह हजार से अधिक लोगों को भारत की नागरिकता दी गयी है। देष के लोगों को यह जानने का हक है कि जिन लोगों को भारत की नागरिकता दी गयी है वे सभी किस देष के नागरिक थे और वर्तमान में कहां रह रहे थे। मौलाना बलियावी ने NRC के विरोध में चल रहे आंदोलन का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों से यह सवाल किया कि उनके दल के लोग सड़क पर कब उतरेंगे।