चीन अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहा है, आपको बता दें कि ऐसे में चीन की निगाहें उत्तरी लद्दाख से जुड़े पैंगोंग पर ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर में चिकन नेक पर भी भारत पर सामरिक बढ़त हासिल करने की है। भारत को इस आशय का अंदेशा पहले से ही था। यही कारण है कि भारतीय सेना ने चीन की यथास्थिति में बदलाव लाने की कोशिश को नाकाम करने की पूरी तैयारी कर ली थी।
वहीँ अब भारत को अंदेशा है कि चीन एक बार फिर दोकलम तक सड़क बनाने की हिमाकत कर सकता है।दरअसल, चीन की योजना भारत से बातचीत जारी रखते हुए पैंगोंग झील में घुसपैठ करने की थी। रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम इस झील के दो-तिहाई हिस्से पर चीन का पहले से ही कब्जा है। रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए चीन की मंशा समूची झील पर कब्जा करने की है।
आपको बता दें कि यही कारण है कि भारतीय सेना ने झील के अपने हिस्से में मजबूत सामरिक तैयारी कर रखी थी। बीती 29-30 अगस्त की रात चीन की योजना को नाकाम किया जाना इसी तैयारी का नतीजा है।दरअसल, पैंगोंग झील और चिकन नेक क्षेत्र पर एकाधिकार से चीन को भारत पर बड़ी सामरिक बढ़त हासिल हो सकती है। पैंगोंग झील से लेह तक की दूरी महज 54 किलोमीटर है। यह झील चुसुल एप्रोच के रास्ते में है, जिसका इस्तेमाल चीन ने 1962 के युद्ध में किया था।