अब अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित नहीं पाकिस्तान, जैकमाबाद से आए इस युवक ने बयां किया दर्द

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नई दिल्ली॥ पाक के जैकमाबाद से आए एक शख्स (मुकेश बजाज) का कहना है कि पाकिस्तान का कोई भी शहर अब अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित नहीं है। पाकिस्तानी मुस्लिमों के अत्याचार से आहत सैकड़ों परिवार वहां से पलायन कर चुके हैं। न जान, माल की सुरक्षा है न कारोबारी माहौल। कोई भी सुरक्षित नहीं है। पाकिस्तान के जैकमाबाद में सर्वाधिक हिंदू अल्पसंख्यक परिवार थे, लेकिन वहां से 60 फीसदी परिवार जा चुके हैं।

शख्स का कहना है कि CAA लागू होने के बाद हिंदुस्तान आने वालों की संख्या बढ़ सकती है। 39 वर्षीय मुकेश को युवा अवस्था में ही गरीबी से जूझना पड़ा। परिवार की खातिर उन्होंने अत्याचार सहन करने के बावजूद कारोबार जारी रखा, लेकिन आखिर प्रताड़ना की सारी हदें पार कर दी गईं तो उन्होंने हिंदुस्तान का रूख किया।

सन 2001 में वे पुराने भोपाल में आकर बसे। यहां उन्होंने घर में ही पापड़ बनाने का कारोबार शुरू कर परिवार को पालना शुरू किया। लांग टर्म वीजा पर आए मुकेश ने नागरिकता के लिए आवेदन किया लेकिन उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। प्रशासनिक अड़ंगे के कारण उनका बी फार्म रोक दिया गया। अब इंटेलीजेंसी की रिपोर्ट भी आ गई है। पत्नी वर्षा बजाज हिंदुस्तान की नागरिक है। वे कारोबार में सहायता करती हैं।

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हिंदुस्तान में CAA लागू होने के बाद वहां के लोगों का अल्पसंख्यकों के प्रति नजरिया भी बदल गया है। भाईचारा नहीं रहा। अब तो वह लोग भी हिंदुस्तान आने की सोच रहे हैं जो सुदूर इलाकों में रहते हैं। CAA से अल्पसंख्यकों को हिंदुस्तान की नागरिकता मिलने की उम्मीद बंधी है। इस कानून का विरोध करने से पहले लोगों को पूरी समझ रखनी चाहिए।

सिर्फ राजनीतिक मतभेद के कारण विरोध नहीं होना चाहिए। मानवीय दृष्टि से इसका समर्थन करना चाहिए। मुकेश बजाज बताते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। कब लूटपाट हो जाए तय नहीं है। महिलाओं का घर से बाहर निकलना दुश्वार है। अल्पसंख्यकों पर तरह-तरह से परेशान किया जाता है।

जादू टोना कर लड़कियों को जबरन अपने साथ ले जाना। दुष्कर्म कर उन्हें सड़क पर छोड़ देना। युवाओं का अपहरण कर फिरौती मांगना जैसे काम आम हो गए हैं। इसी कारण अल्पसंख्यक वतन छोड़ रहे हैं। जबरन धर्म परिवर्तन कर युवतियों को बड़ी उम्र के पुरुषों से निकाह करने के लिए दबाव डालना आम बात है। प्रताड़ना की खबरें सुनकर ही लोग सहम जाते हैं।

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