भारत की वर्तमान सरकार चीन-पाकिस्तान की साजिशों से निपटने के लिए निरंतर रक्षा क्षमता को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा लड़ाकू विमान से लेकर अन्य रक्षा उपकरण विदेशों से मंगवाए जा रहे हैं और देश के भीतर भी रक्षा उत्पादन को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
हिंदुस्तान न सिर्फ युद्ध उपकरणों की तादाद बढ़ा रहा है बल्कि अत्याधुनिक तकनीक के उपयोग से उसका उन्नयन भी कर रहा है। इसी कड़ी में अब सुपरसोनिक जेट राफेल-एम को समन्दर से उड़ाने की तैयारी की जा रही है, जिसका जल्द ट्रायल होने वाला है।
आपको बता दें कि राफेल-एम अपने प्रतिद्वंदी अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-18 से हल्का है और इसका एयरफ्रेम भी छोटा है। यही नहीं, राफेल-एम लंबी दूरी की हवा से हवा और हवा से भूमि पर मार करने वाली मिसाइलों के मामले में भी एफ-18 से अधिक सक्षम है।
नौसेना उड्डयन एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि IAC-1 को संशोधित करना होगा ताकि F-18 को हैंगर से फ्लाइट डेक पर लाया जा सके क्योंकि इस जेट में अपेक्षाकृत विशालकाय एयरफ्रेम है।