उत्तराखंड में अफसरों को मिल रही ये सुविधा, लेकिन अधीनस्थ कर रहे हैं सालों से इंतजार

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देहरादून। उत्तराखंड में एक तरफ जहां पुलिस के अफसरों को प्रमोशन पर प्रमोशन मिल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उनके अधीनस्थों को इस चीज का सालों से इंतजार है। वर्दी से बंधे पुलिस के ज्यादातर सिपाही, ताउम्र नौकरी के बाद बिना प्रमोशन के रिटायर हो रहे हैं। आलम यह है कि यूपी के समय से भर्ती पुलिस सिपाहियों को अब तक एक भी प्रमोशन नहीं मिला है। दूसरी तरफ पुलिस अधिकारियों के प्रमोशन बिना रुकावट के हो रहे हैं।

Uttarakhand Police

प्रदेश में निचले रैंक की पुलिस फोर्स में प्रमोशन के अवसर बहुत कम मिल पा रहे हैं। आलम यह है कि सिविल पुलिस में अभी 1994 से भर्ती सिपाहियों के ही प्रमोशन नहीं मिल पाया है। हालांकि इनमें कई दरोगा से अधिक वेतन ले रहे हैं।

यही स्थिति आर्म्ड पुलिस की भी है, यहां 2001 से भर्ती वालों के अभी प्रमोशन नहीं हुए हैं। दूसरी तरफ बीते पुलिस मुख्यालय ने विशेष श्रेणी के सिपाहियों को पदोन्नति तो दी, लेकिन इससे पुलिस कर्मियों को कोई लाभ नहीं मिल पाया।

कारण वो पहले ही ज्यादा वेतन पा रहे थे। प्रमोशन न मिलने के पीछे एक असल वजह हेड कांस्टेबल के पद रिक्त न होना भी है। हालांकि रैंकर्स भर्ती के जरिए कुछ सिपाही पदोन्नत होते हैं, लेकिन उसके लिए विभागीय परीक्षा पास करनी पड़ती है।

अफसरों को फटाफट प्रमोशन: बीते दिनों शासन ने पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी के रिटायर्ड होने पर महानिदेशक स्तर के रिक्त पद पर अपर पुलिस महानिदेशक वी विनय कुमार को पदोन्नति दी। रतूड़ी 30 नवंबर को ही रिटायर्ड हुए थे, जबकि विनय कुमार को दो दिसंबर को ही पदोन्नति दे दी गई। ऐसी तेजी निचले स्तर के कार्मिकों के मामले में देखने को नहीं मिल पाती है।

अब नियमित समीक्षा: इस बारे में डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि निचले रैंक के पुलिस कर्मियों के प्रमोशन में कई अड़चने थीं, अब इन्हें दूर किया जा रहा है। शनिवार को ही सिपाही से लेकर दरोगा तक रैंक के पुलिसकर्मियों के लंबित पदोन्नति प्रकरणों पर विचार किया गया। अब इसकी नियमित समीक्षा की जाएगी।

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