ओलंपिक खेलों से भारत का नाता बहुत पुराना नहीं है। ब्रिटिश शासन काल में वर्ष 1900 में भारत ने पहली बार ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था और सिर्फ एक एथलीट भेजा था। उस एथलीट का नाम नॉर्मन प्रिचर्ड था। नॉर्मन प्रिचर्ड ने देश के लिए पुरुषों की 200 मीटर की रेस और 200 मीटर हर्डल इवेंट में मेडल जीते थे। उसके बाद से भारत प्रत्येक ओलंपिक में हिस्सा लेता रहा है। वर्ष 1920 में भारत ने पहली बार ओलंपिक खेलों में अपनी टीम भेजी थी। इस टीम में 06 एथलीट और 02 रेसलर थे। हालांकि भारत को अपने अगले मेडल के लिए वरह 1928 तक प्रतीक्षा करना करनी पड़ी थी।
1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में भारत को हॉकी में अपना पहला गोल्ड मेडल मिला। भारत ने ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड को और फाइनल में नीदरलैंड को हराया। 1932 में भारत ने अमेरिका को 24-1 के रिकॉर्ड अंतर से हराया, जो आज भी कायम है। 1936 के बर्लिन ओलंपिक में जर्मनी को 8-1 से पराजित किया था।
इसी तरह 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारत ने हॉकी में एक बार फिर गोल्ड मेडल जीता। 1968 के मेक्सिको सिटी ओलंपिक में और 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को ब्रोन्ज मेडल मिला। इसी तरह 1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारत ने फील्ड हॉकी में गोल्ड मेडल जीता।
ओलंपिक के इतिहास में वर्ष 2012 का लंदन ओलंपिक भारत के लिए यादगार रहेगा। लंदन ओलंपिक में भारत ने 6 ओलंपिक मेडल जीते। भारत के विजय कुमार ने मेंस 25 रैपिड फायर पिस्टल में सिल्वर मेडल, गगन नारंग मेंस 10 मीटर एयर राइफल में ब्रोन्ज मेडल, सुशील कुमार ने मेंस फ्रीस्टाइल 66 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल, योगेश्वर दत्त ने मेंस फ्रीस्टाइल 60 किलो वर्ग में ब्रोन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। इसी तरह सायना नेहवाल ने बैडमिंटन के वीमेंस सिंगल्स में ब्रोन्ज मेडल और मैरीकॉम ने वीमेंस फ्लाइवेट में ब्रोन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा।
2016 के रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इसमें भर को महज दो मेडल से संतोष करना पड़ा। रियो ओलंपिक में वीमेंस फ्रीस्टाइल 58 किलो वर्ग में साक्षी मालिक ने ब्रोन्ज मेडल जीता। बताते चलें की साक्षी भारत के लिए कुश्ती में पदक लाने वाली पहली महिला पहलवान हैं। पीवी सिंधु ने बैडमिंटन के वीमेंस सिंगल्स में सिल्वर मेडल ही जीत सकी।