OMG: इस गांव में जाने वाला कभी नहीं आता वापस, मुर्दों का शहर भी कहते हैं लोग इसे

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ये  दुनिया रहस्यों से भरी है। आज भी कई ऐसे स्थान हैं जो बेहद रहस्यमयी हैं, जिनके बारे में आजतक कोई कुछ भी नहीं जान पाया। आपने कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में देखा होगा कि किसी जगह जाने के बाद इंसान कभी भी वापस लौट कर नहीं आया लेकिन क्या कभी आपने ऐसी भूतिया जगह असलियत में देखी है।शायद नहीं। तो आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी गांव के बारे बताने जा रहे हैं जहां जाने के बाद कोई भी वापस लौट कर नहीं आया। हम बात कर रहे हैं रूस के उत्तरी ओसेटिया में बसे गांव दर्गाव्स की। इसे मुर्दों के शहर के नाम से भी जाना जाता है।

तहखाने में दफनाते थे शव

कुछ खबरों की मानें तो दर्गाव्स गांव में जाने वाला इंसान कभी भी वापस लौटकर नहीं आता है। यह इलाका बेहद ही सुनसान है। ऐसे में डर की वजह से इस जगह पर कोई भी यहां नहीं आता-जाता है। बताया जाता है कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच बसे इस गांव में पत्थरों से बने लगभग 99 तहखाने के आकार के घर मौजूद हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इन तहखाने वाले घरों में यहां रहने वाले लोगों ने अपने परिजनों के शव दफन किए थे। इनमें से कुछ मकान चार मंजिला घर भी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक यहां स्थित इन कब्रों का निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था जी अब एक विशाल कब्रिस्तान में बदल चुका है। हर इमारत एक परिवार से संबंधित है, जिसमें सिर्फ उसी परिवार के सदस्यों को दफनाया गया है।

स्थानीय लोग इस स्थान को लेकर अलग अलग मान्यताओं के बारे में बताते है। लोगों का कहना है कि इन तहखाने नुमा इमारतों में जो भी जाता है वह कभी भी वापस लौटकर नहीं आता। हालांकि, यह बात बिल्कुल सच साबित नहीं हो रही है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में पर्यटक इस जगह के रहस्य को जानने के लिए आते रहते हैं। इस स्थान तक पहुंचने का रास्ता काफी खतरनाक है। यहां पहाड़ियों के बीच तंग रास्तों से होकर पहुंचा जा सकता है। यहां आने में कम से कम तीन घंटे का समय लगता है।

नाव के जरिए आत्मा जाती थी स्वर्ग

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां का मौसम हमेशा खराब रहता है। ऐसे में यहां आने वाले को सफर के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पुरातत्वविद बताते हैं कि यहां कब्रों के पास नावें मिली हैं। वहीं स्थानीय लोगों के बीच नाव को लेकर मान्यता है कि आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी होती है। यही वजह है शवों को नाव पर रखकर दफनाया जाता था। पुरातत्वविदों को यहां हर तहखाने के सामने एक कुआं भी मिला है।

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