OMG: 4 एकड़ के किसान से पेप्सीको ने मांगा एक करोड़ का हर्जाना

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नई दिल्ली।। कारपोरेट जगत बड़ी तेजी के साथ भारतीय किसानों के खेतों को हड़पने और उन्हें अपना बंधुआ मजदूर बनाने की ओर अग्रसर हो गया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीजों का पेटेंट लेकर किसानों को अपने जाल में फंसा रही हैं। जिसके कारण किसान को अपने खेतों की उगाई हुई फसल और उसके बीज पर अब अधिकार नहीं होगा। किसानों का बहुराष्ट्रीय कंपनियां किस तरह शोषण करती हैं यह अभी से नजर आने लगा है।

गुजरात के किसान हीराभाई पटेल ने 4 एकड़ खेत के लिए आलू का बीज लिया था एफसी- 5 आलू की फसल उसने बोई। पेप्सीको कंपनी के बीज से फसल आने के बाद उसने बीज के रूप में अगले साल के लिए आलू का बीज सुरक्षित रख लिया था। इस पर पेप्सीको कंपनियों ने किसान पर पेटेंट का दावा ठोकते हुए 1 करोड़ रुपए हर्जाना मांगा है। कंपनी ने जिन किसानों को बीज दिए थे। उन किसानों की प्राइवेट जासूसों से जासूसी भी कराई। कंपनी ने जो मुकदमा किसानों के ऊपर किया है।उसमें जासूसों द्वारा उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट भी पेश की गई है।

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बीज पर कंपनियों का एकाधिकार हो जाने से अब किसान अपनी फसल बोने के लिए हर बार कंपनियों से ही उसे मनमानी कीमत पर बीज लेने के लिए विवश किया जा रहा है। सारी दुनिया में पौधों और पौधों से जुड़े जैविक अधिकारों को लेकर बहस चल रही है,कि बीज किसान का होगा या बहुराष्ट्रीय कंपनियों का।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा जो बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। उसमें जमीन किसान की होती है। जब तक बीज खेतों में नहीं बोया जाएगा, उसकी देखरेख नहीं की जाएगी, तो फसल कैसे होगी। जिस तरह महिला एवं पुरुष के संभोग से बच्चों की उत्पत्ति होती है।उसी तरह हर जमीन और हर बीज की फसल अलग अलग होती है। ऐसी स्थिति में कंपनी उस पर किस तरह पेटेंट का दावा कर सकती है। किंतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिस तरह से एकाधिकार करती जा रही हैं। गुजरात के किसान को जो नोटिस दिया गया है। वह उसका उदाहरण है।

किसी भी बीज का पेटेंट होने से बुबाई, पैदावार और बिक्री पर स्वामित्व पेटेंट कर्ता कंपनी का हो जाता है। पेटेंट वाले बीज अथवा उससे हुई पैदावार को किसान को नहीं बो सकता है नाही बेच सकता है। इस पर भी कंपनी का अधिकार होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां की कीटरोधी फसलों के लिए बीज का पेटेंट कराती हैं। उसके बाद बीजों का विक्रय करती हैं। यही कारण है कि किसान इनके जाल में फंसकर जीवन भर फड़फड़ाता रहता है।

पिछले 5 वर्षों मैं बड़ी तेजी के साथ कारोबार बढ़ रहा है 2018 में 4.30 लाख करोड़ रुपए का व्यापार बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने किया है। माना जा रहा है कि 2024 तक यह व्यापार बढ़कर लगभग 7 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। भारत के 50 फ़ीसदी वैश्विक बीज बाजार में बीयर मोनसेंटो ड्यूपॉन्ट और सयनजेन्टा नामक कंपनियों का कब्जा है।अमेरिका में 1980 के दशक में जैविक पेटेंट की शुरुआत हुई थी।

पश्चिमी देशों ने भी इसका अनुसरण करना शुरू कर दिया था। 1990 में कंपनियों ने मात्र 120 बीजों का पेटेंट कराया था।जो 2019 में बढ़कर 12000 की संख्या में पहुंच गया है। भारत जैसे देश में पेटेंट को लेकर जिस तरह से किसानों को बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने जाल में फंसा रही हैं केंद्र एवं राज्य सरकारें भी उनकी मददगार बनकर सामने आ रही हैं इससे भारतीय किसान और भारतीय अर्थव्यवस्था आगे चलकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास चली जाएगी। ऐसा गुजरात में जो किसान के साथ हुआ है,उससे स्पष्ट हो रहा है।

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