OMG: बनारस में सैकड़ों साल से एक तरफ झुका हुआ है ये मंदिर, जानें क्यों मिला था ‘श्राप’

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अजब -गजब: दुनिया की कई इमारतें अपनी वास्तुकला और अनोखेपन से लोगों को हैरान कर देती हैं। आज हम आपको भारत में स्थित एक ऐसे मंदिर (रत्नेश्वर महादेव वाराणसी) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सैकड़ों वर्षों से यह मंदिर एक तरफ 9 डिग्री झुका हुआ है।

Banaras Temple

यह मंदिर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट में स्थित है। मंदिर का नाम रत्नेश्वर महादेव है। इस मंदिर की वास्तुकला दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करती है।

लोग इसे पीसा की झुकी मीनार से बेहतर मानते हैं

सैकड़ों वर्षों से यह मंदिर एक तरफ झुके होने और ऐतिहासिक महत्व के कारण पीसा की झुकी मीनार से बेहतर माना जाता है। पुरातत्वविदों का मानना ​​है कि प्राकृतिक रूप से यह पीसा की झुकी मीनार से काफी बेहतर है। यहां के लोग मंदिर को भगवान शंकर का चमत्कार बताते हैं। आपको बता दें कि वाराणसी में गंगा घाट पर जहां एक तरफ सभी मंदिर ऊपर की ओर बने हैं वहीं दूसरी तरफ मणिकर्णिका घाट के नीचे इस मंदिर का निर्माण किया गया है.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि गंगा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर हर साल छह महीने से ज्यादा समय तक पानी में डूबा रहता है। मंदिर में सिर्फ दो-तीन महीने की ही पूजा हो सकती है। मंदिर के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। यहां के लोग इसे काशी करवाते भी कहते हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि किसी ने अपनी मां के कर्ज से मुक्ति पाने के लिए रत्नेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया था। हालांकि, इस मंदिर के टेढ़ेपन के कारण वह अपनी मां के कर्ज से मुक्ति नहीं पा सके।

महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने दिया ‘श्राप’

यह भी कहा जाता है कि रानी अहिल्याबाई होल्कर की दासी रत्ना बाई ने काशी में मणिकर्णिका घाट के सामने भगवान शंकर का मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की थी। इसके लिए नौकरानी ने अहिल्या बाई होल्कर से पैसे उधार लिए थे। इस मंदिर को देखकर अहिल्या बाई होल्कर बहुत प्रसन्न हुईं। हालांकि उन्होंने अपनी नौकरानी से कहा कि वह मंदिर को अपना नाम न दें, लेकिन उनकी नौकरानी ने अहिल्या बाई की एक नहीं सुनी। नौकरानी ने अपने नाम पर मंदिर का नाम ‘रत्नेश्वर महादेव मंदिर’ रखा था। इससे क्रोधित होकर अहिल्या बाई होल्कर ने श्राप दिया कि मंदिर में बहुत कम पूजा हो सकेगी। माना जाता है कि इसी वजह से मंदिर ज्यादातर समय पानी में डूबा रहता है।

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