नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा है कि जब हमारी नाक एक होती है तो हमारे पास दो छेद क्यों होते हैं। सूंघने की क्षमता और इस प्रक्रिया को समझने के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है। इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि दिन भर में हमारा एक नथुना दूसरे की तुलना में बेहतर और तेज सांस लेता है।
दोनों नासिका छिद्रों की यह क्षमता प्रतिदिन बदलती रहती है। यानी हमेशा दो नथुनों में से एक बेहतर होता है, फिर एक थोड़ा कम सांस लेता है। सांस लेने की ये दोनों क्षमताएं हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं। नाक के ये दो नथुने ही हमें अधिक से अधिक चीजों की गंध को समझने में मदद करते हैं।
इन दोनों नथुनों के कारण ही आप नई गंधों को भी पहचान पाते हैं। आपकी नाक इतनी बुद्धिमान है कि यह आपको हर रोज की गंध को भांपकर परेशान नहीं करती है। इसे तंत्रिका अनुकूलन कहा जाता है। हमारी नाक उस गंध के प्रति उदासीन हो जाती है जिसे हम हर दिन सूंघते हैं। हमारी नाक तुरंत उन गंधों का पता लगा लेती है जो हमारे लिए नई हैं।