शाहजहांपुर।। जिले की तहसील जलालाबाद क्षेत्र के वहगुल नदी पर पुल बनाने के लिए शासन ने धनराशि स्वीकृत की और उस पर निर्माण के लिए सेतु निगम के कर्मचारियों ने पुल निर्माण का कार्य शुरू किया ,परंतु स्वार्थी लोगों ने पुल निर्माण में अड़ंगा डाल दिया। रविवार को रामपुर ढका डांडी व तिकोला मंदिर पर ग्रामीणों ने अलग-अलग धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
आपको बता दें जलालाबाद से करीब 8 किलोमीटर दूर बहंगुल नदी पर पुल निर्माण की मांग लंबे समय से ग्रामीणों द्वारा की जाती आ रही है। इसको लेकर ग्रामीणों ने मतदान का भी बहिष्कार किया था और आंदोलन भी किया। मौजूदा योगी सरकार ने ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए पुल को न केवल मंजूरी दी बल्कि इसके निर्माण के लिए धनराशि का भी आवंटन वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा करा दिया गया।
फरवरी महीने के शुरुआत में सेतु निगम के कर्मचारियों ने पुल निर्माण का काम शुरू कर दिया और उन्होंने अपने रहने के लिए रामपुर ढका दाणी में वहगुल नदी के किनारे अस्थाई आवास भी बनाया। जैसा कि आपको बताते चलें यह वही स्थान है जहां पर करीब 50 सालों से लोगों का आना-जाना कीला पुर गांव के लिए होता है ।
इसी घाट से कई गांव भी जुड़े हैं जो नदी के पार हैं और वह सही स्थान पर ही पुल बनने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। यहां पर नदी का फैलाव भी कम है। कम लागत होने के कारण इसी स्थान पर पुल का बनाया जाना सबसे उपयुक्त होगा । निर्माण एजेंसियों के अनुसार इसी स्थान पर पुल बनाने की स्वीकृत हुई है।
यहां पुल निर्माण का कार्य शुरू होते ही थाथर्मयी, दुलरा मई के लोगो ने यह कहकर विरोध शुरू कर दिया कि पुल का निर्माण का स्थान बदला जाए। पुल निर्माण की स्वीकृति तिकीलघाट के नाम से कागजों में दिखाई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल का निर्माण पर टीकोला मंदिर के समीप पुल नदी पर होना चाहिए। जबकि तिकोलाघाट के पास पुल बनाने में कम से कम 20 कुओ का निर्माण करना पड़ेगा, जबकि जिस स्थान पर पुल बनाया जा रहा है वहां पर मात्र 5 कुओ से पुल को बनाया जा सकता है।
शासन ने बहगुल नदी पर जहाँ पैट्रोन पुल है काम की शुरुआत कर दी है विवादों के चलते भले ही उसका निर्माण रुक गया हो परंतु क्षेत्र में पुल की अति आवश्यकता है। क्योंकि नदी के पार के लोगों की जीवन रेखा जब भी बेहतर हो सकेगी जब वहां पर पुल बन सकेगा।
दूसरा पहलू यह है की वे गांव जिसमें गैर आबाद गांव हैं और जो गांव है, उसमें चक चंद्रसेन कटेली खड़ाहर अब्दलपुर अलबेला गुरैया खालसा यह गांव वहबुल नदी के जलालाबाद की तरफ है जिनका नदी के पार जाने से कोई लेना देना नहीं है। केवल खेतों में जाने के लिए बेतुकी जिद कर रहे हैं ।
इस क्षेत्र में कभी भी पैट्रोन पुल नहीं बना, केवल काश्तकार नाव के सहारे अपने खेतों पर जाते हैं और यह रास्ता लुटेरों का गढ़ भी है यहां से निकलने वाले लोगों को अक्सर लूट कर ली जाती है अतः इस रास्ते को बनाया जाना जनहित में नहीं होगा। वैसे इस रास्ते पर पुल बनवाने के लिए तमाम लोग मीडिया वालों को पैसा देकर अपने पक्ष में खबरें चलाने का ठेका लिए हुए ।अब शासन को तय करना है कि असलियत का रास्ता चुनते हैं अथवा गलत रास्ता सुनते हैं।