एक बार फिर मजूदरों पर आई बड़ी आफत, श्रम कानून में हुए बदलाव पर भड़के यूनियन, कहा- अब होगा ज्यादा शोषण

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नई दिल्ली॥ लॉकडाउन 3.0 की वजह से देश में अर्थव्यवस्था के थमे पहिए को दोबारा पटरी पर लाने के लिए तीन राज्यों ने श्रम कानून में चेंजेस किए गए हैं। सरकार के मुताबिक, इससे जॉब की सम्भावनाएं बढ़ेंगी। जबकि ट्रेड यूनियन इसका विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि इससे कामकारों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इससे कम्पनियों की मनमानी बढ़ेगी।

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श्रम कानून में हुए ये बदलाव उप्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में लागू किया गया है। नए नियमों के अतंर्गत इससे देश में निवेश बढ़ेगा। नतीजतन लोगों को रोजगार के अधिक ऑप्शन मिलेंगे। कोविड महामारी के इस मुश्किल दौर में उन्हें रोजी-रोटी की दिक्कत नहीं आएगी। वहीं ट्रेड यूनियन इसे घाटे का सौदा बता रही है। उनका मानना है कि इससे कर्मचारियों का शोषण और बढ़ेगा

साथ ही कम्पनियां अपने मनमाने तरीके से काम कराएगी और ज्यादा शर्तें रखेंगी। इससे लोगों पर दबाव बढ़ेगा। इतना ही नहीं श्रम कानून में हुए बदलाव के अंतर्गत गवर्नमेंट ने काम करने के घंटों को बढ़ा दिया है। यानी जो पहले सप्ताह में 48 घंटे था, अब वह 72 घंटे हो जाएगा। मतलब अब प्रतिदन 8 की जगह 12 घंटे यानी 4 घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ेगा।

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हालांकि सरकार ने दलील देते हुए कहा है कि ये सबके लिए अनिवार्य नहीं है। जो लेबर ओवरटाइम करना चाहेगा, वो करेगा, लेकिन ट्रेड यूनियनों को डर है कि ये नियम सबके लिए लागू कर दिया जाएगा। मजबूरी में उन्हें अधिक घण्टे काम करना पड़ेगा।

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