दुनिया की सबसे ठंडी जगहों में से एक, इतने डिग्री पहुंच जाता है तापमान

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इस समय पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जिसके चलते लोगों की हालत खराब है और कई लोगों की जान जा चुकी है, वहीँ आपको बता दें कि पूरी दुनिया में प्रकृति के अलग-अलग अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं. एक ही वक्त में दुनिया के किसी कोने में अंधेरा होता है तो कहीं उजाला, कहीं बारिश थमने का नाम नहीं लेती तो कहीं सूखा ही नहीं खत्म होता है. दुनिया के कुछ हिस्से गर्मी से झुलसते हैं तो कुछ हिस्सों में भीषण बर्फबारी होती है.


वैसी कड़ाके की सर्दी में कोई भी काम करना मुश्किल हो जाता है. दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां का तापमान हमेशा माइनस में रहता है. साइबेरिया में तापमान इतना कम रहता है कि पलकों की नमी से लेकर पेन की स्याही तक सब जम जाती है.

आपको बता दें कीं यहां कई बार पारा -50 डिग्री सेल्यियस के नीचे भी पहुंच जाता है. इतनी सर्दी में तो इंसान के फेफड़े भी जम जाएं लेकिन इंसानों की यही काबिलियत है कि वे किसी भी परिस्थिति में खुद को ढाल लेते हैं.

गौरतलब है कि अंटार्कटिका के बाद साइबेरिया को सबसे ठंडी जगह माना जाता है. यहां जीवन यापन बहुत मुश्किल है. पूर्वी साइबेरिया के ओइयाकन में सबसे निम्न तापमान -71.2 डिग्री सेल्सियस का रिकॉर्ड भी दर्ज है. यह जगह इतनी ठंडी है कि खाली प्लास्टिक बैग भी मिनटों के भीतर जम जाते हैं.

साइबेरिया के युकुत्सुक में पीरियॉडिक टेबल के सारे तत्व मिल जाएंगे. यहां की लोककथाएं भी हाड़ कंपा देने वाली ठंड के जिक्र से भरी पड़ी हैं. स्थानीय किवदंती के मुताबिक, जब सृजन के देवता पूरी दुनिया में प्राकृतिक संसाधनों को बांटने के लिए उड़ रहे थे तो वह याकुटिया पहुंचे लेकिन यहां इतनी ठंड थी कि उनके हाथ जम गए और उन्होंने यहां पर सब कुछ छोड़ दिया.

दिसंबर के महीने में साइबेरिया बुरी तरह जम गया है. यहां कई बार पारा -50 डिग्री से नीचे चला जाता है. ठंड के साथ-साथ बर्फीले तूफान जनजीवन को और भी ज्यादा मुश्किल बना देते हैं.ठंड के चलते यहां स्कूलों-कॉलेजों कई दिनों तक बंद रहते हैं. यहां फर्श से लेकर पेड़ों तक पर बर्फ की मोटी परत जमा हो जाती है.

साइबेरिया की लीना नदी सर्दी में पूरी तरह जम जाती है और लोग इसे सड़क की तरह इस्तेमाल करने लगते हैं.वहीं बर्फीली फिसलन भरी सड़कों पर वाहन चलाना मुश्किल बहुत मुश्किल होता है.यहां की सर्दी का अनुभव करने के लिए हर साल पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह कोई रोमांच नहीं बल्कि आम दिनचर्या है.

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