पाकिस्तान अपनी उस जिद से वापस आ गया जिसने उसने कहा था कि जबतक जम्मू-कश्मीर में धारा 370 फिर से बहाल नहीं हो जाती और राज्य को विशेष दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता तबतक भारत से कोई बातचीत नहीं करेगा। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को खत्म कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेशों में बदल दिया था। उसके बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ हर प्रकार के व्यवसायिक संबंध तोड़ दिये थे।
बुधवार 31मार्च को पाकिस्तान के कैबिनेट में ये प्रस्ताव पास किया कि निजी कंपनियां भारत से चीनी और कपास की खरीददारी कर सकती हैं। सीधे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान इतना मजबूर हो गया है कि वह बिना भारत के सहयोग के अपनी अर्थव्यवस्था अब नहीं चला सकता। पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है।
वहां आटा 75 रु. और चीनी 120 रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में गेहूं और कपास की पैदावार भी काफी गिर गयी है, जिस कारण वहां खाने के लाले पड़े हैं और कपड़े के निर्यात में पाकिस्तान बुरी तरह पिछड़ गया है। भारत ही उसके लिये सबसे नजदीक और उपयुक्त देश है, जहां से वह अपनी आवाम को बचाने के लिये सहयोग प्राप्त कर सकता है।
बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिये पाकिस्तान के हुक्ममरानों ने भारत सरकार के साथ वार्ता शुरू की और उसी का नतीजा रहा कि दोनों देशों के बीच पहले युद्व विराम की घोषणा हुई और उसके बाद औपचारिक पत्रों का आदान-प्रदान हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान दिवस पर वहां की जनता को बधाई दी और उनके साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने के सन्देश भेजे। बदले मे पाकिसतान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पत्र भेजकर भारत के लोगों के साथ मधुर सम्बन्ध स्थापित करने की इच्छा जताई।
ये तो औपचारिक बातचीत थी लेकिन पाकिस्तान के झुकने के प्रमुख कारण आर्थिक रहे हैं। जबसे पाकिस्तान में इमरान की सरकार आयी है तब से उनकी आर्थिक हालत बद से बदतर होती जा रही है। पाकिस्तान पर इस समय 120 अरब डॉलर का विदेशी कर्जा है जो उसकी कुल जीडीपी का 87 प्रतिशत है।
पाकिस्तान जितना राजस्व वसूलता है उसका 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा विदेशी कर्ज की ब्याज अदायगी में खर्च हो जाता है। उसपर से आईएमएफ का 6 अरब डॉलर का कर्जा उसके लिये मुसीबत बनता जा रहा है ।आईएमएफ की शर्तों के कारण पाकिस्तान में हाहाकार मचा है।
बिजली, गैस ओैर आर्थिक सुविधाओं की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। यहां तक कि पाकिस्तान अपनी जरूरतों के लिए पार्क ओर मेैदान भी गिरवी रखने लगा है। पाकिस्तान में इमरान खान ने तीन-तीन वितमंत्री बदल दिये लेकिन हालात में सुधार नजर नहीं आ रहा। अब पाकिस्तान स्टेट बैंक के प्रबन्धन को भी आईएमएफ के हवाले करने जा रहा है। इस संबध में अध्यादेश या बिल की तैयारी की जा रही है।
पाकिस्तान में हमेशा भारत विरोधी अभियानों को हवा मिलती रही है। कभी पाकिस्तानी आर्मी की तरफ से तो कभी वहां पल रहे आतंकवादी गुटों के समर्थन से। पहली बार ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान की सरकार और आर्मी एक पेज पर है। दोनों अपने मुल्क को बचाने के लिये भारत से हर हाल में दोस्ती बढ़ाना चाहते हैं। लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख हाफिज सईद जेल में है। तो मौलाना अजहर मसूद अंडरग्राउंड।
भारत फिलहाल इस स्थिति में है कि वह पाकिस्तान से अपनी शर्तों पर बातचीत कर सकता है। यह सही मौका है कि पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर में किसी दखल से रोकने के लिये स्थाई समझौता हो सकता है और भारत में एक लम्बी अवधि की शान्ति स्थापित हो सकती है। अब चुनौती भारत की नहीं पाकिसतान की है कि वह इस नये माहौल को बनाये रखे और अपने व भारत के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त कर सके। वैसे वहां जो भी भारत के समर्थन में बोलता है, ज्यादा दिन टिक नहीं पाता। देखें इमरान खान का हश्र क्या होता है।