कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को हो रही ये घातक बीमारी, निकलवानी पड़ रही हैं आंखें

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अहमदाबाद। कोरोना मरीजाें की जान बचाने के लिए डाक्टरों द्वारा दी जा रही स्टेरॉयड के गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस का प्रकोप बढ़ गया है। इसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। वडोदरा में पिछले 50 दिन में म्यूकोरमाइकोसिस के 100 से अधिक मामले सामने आए हैं। उनमें से 20 की मौत हो चुकी है।सूरत में भी 15 दिन के भीतर ऐसे 40 से अधिक केस सामने आए हैं, जिनमें 8 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी है। अहमदाबाद में भी पिछले 15 दिन में 15 लोगों की मौत हुई हैं।
Mucoramycosis infection

फेफड़े, मस्तिष्क और गुर्दे को भी नुकसान पहुंचाता

विशेषज्ञाें के अनुसार जो मरीज कोरोना से उबर चुके हैं, उन्हें अब म्यूकोरमाइकोसिस रोग की बीमारी हो रही है। चिंताजनक बात यह है कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण तेजी से फैल रहा है। एक बार कवक म्यूकोरमाइकोसिस से संक्रमित होने के बाद यह पूरे शरीर में तेजी से फैलने लगता है। यह फेफड़े, मस्तिष्क और गुर्दे को भी नुकसान पहुंचाता है। इन म्यूकोरमाइकोसिस के प्रमुख लक्षणों में आंख में दर्द, आंख को जल्दी से खोल या बंद नहीं कर पाना, खांसी, जुकाम, बहती नाक, कुछ दिन के बाद आंख का निचला हिस्सा, गाल का हिस्सा सूज जाता है। अब तक 20 रोगियों में से पांच ने अपनी दृष्टि खो दी। यदि उपचार जल्दी और समय पर शुरू नहीं किया जाता है, तो रोगी की कुछ दिन में मौत भी हो सकती है।

क्या है म्यूकोरमाइकोसिस

म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी से सामान्य से मध्यम प्रतिरक्षा वाले रोगी को प्रभावित नहीं करते हैं। लेकिन कोरोना के उपचार के दौरान दी गई स्टेरॉयड की उच्च खुराक मधुमेह के रोगियों के प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है और कवक शरीर में सक्रिय हो जाती है। पिछले मार्च के पहले पखवाड़े के बाद से शहर में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पहले म्यूकोरमाइकोसिस बहुत कम लाेगों को होता था। इस घातक बीमारी से पीड़ितों ने सूजन, बुखार और आंखों के निचले हिस्से में दर्द, गाल और शरीर में दर्द की शिकायत की हैं।

कोरोना होने के 15 दिन बाद दिखे फंगस के लक्षण

फतेहगंज में रहने वाले और बीमारी से पीड़ित 75 वर्षीय फिरोज कपासी के बेटे ने बताया कि फंगस के लक्षण कोरोना होने के 15 दिन बाद दिखाई दिए। रोगी का म्यूकोरमाइकोसिस की संदिग्धता पर सीटी स्कैन कराया गया। अहमदाबाद के साबरमती क्षेत्र में रहने वाले गौरेश भाई को कोरोना होने के 15 दिन बाद म्यूकोरमाइकोसिस के लक्षण दिखाई देने लगे। लेकिन इन्फेक्शन ज्यादा होने की वजह से उन्हें अपनी दाई आंख गंवानी पड़ी। 12 दिन पहले  शल्य चिकित्सा करके उनकी दाई आंख निकल दी गई।

क्या कहते हैं डॉक्टर

ई एंड टी सर्जन डॉ. परिता पंड्या ने बताया कि वर्तमान में उनके पास हर दिन एक या दो मामले म्यूकोरमाइकोसिस के आ रहे हैं। जिसमें कई मरीजों की हालत बिगड़ रही है। उन्होंने कहा कि समय पर निदान और इलाज होने पर मरीज ठीक हो सकता है।
एक डॉक्टर ने बताया कि कोरोना के इलाज के दौरान ऑक्सीजन दी जा रही है लेकिन इस ऑक्सीजन के साथ पानी को स्टेरिलाइज करना पड़ता है। अगर पानी को स्टेरिलाइज नहीं किया है, तो म्यूकोरमाइकोसिस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के ई एंड टी सर्जन डॉ. कल्पेश पटेल बताया कि कोरोना की इस दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा बढ़ गया है। अहमदाबाद में रोजाना 12-15 केस म्यूकोरमाइकोसिस के आ रहे हैं। पिछले दिनों एक ही दिन में 22 केस आए थे। पिछले पन्द्रह दिन में इससे 15 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना संक्रमित होने पर यह अधिक घातक हो जाता है।

आंख न निकलवाने पर हुई मौत

म्यूकोरमाइकोसिस के कई मामलों में संक्रमण के बढ़ने पर आंख को शल्य चिकित्सा से निकालना पड़ता है। ऐसा न करने पर मरीज की मौत हो सकती है। अभी 15 दिन में यहां आंख न निकालवाने पर तीन मरीजों की मौत हो गई।
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