अजब-गजब॥ जो कुछ भी हम सोचते हैं उसके बारे में हम कुछ संकेत छोड़ते हैं। अगर आप दूसरों के माइंड क्यों सिंग्नल को पकड़ने की टेक्निक में सफल हो हुये, तो आपकी समझ सकते हैं कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोच रहे हैं। अगर थोड़ी प्रैक्टिस के साथ थोड़े स्किल्स डेवलप किया जाए, तो आप भी माइंड रीडिंग सीख सकते हैं।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर ने ह्यूमन साइकोलॉजी के बारे में रिसर्च की , शोध करने के बाद उनको पता लगा कि ह्यूमन बिंग्स के अलावा कुछ ऐसे एनिमल इनका डीएनए ह्यूमन बिंग से मैच करता है।
उनके पास पहले ही कुछ ऐसे न्यूरोस होते हैं, जो दूसरों का दिमाग पढ़ सकते हैं। इसलिए हमारे भीतर पहले से ही नेचुरल ये टेंडेंसी होती है कि हम दूसरों के दिमाग में चलने वाले थॉट्स का पता लगा सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि कोई आपसे कहता कुछ और है, किंतु उसके दिमाग में कुछ और चल रहा होता है
तो किस तरह आप उसके दिमाग में जो कुछ चल रहा होता है दिमाग की सच्चाई का पता लगा सकते हैं। उसके लिए आपको इन पॉइंट को ध्यान में रखना पड़ेगा।
पहला- जब भी कोई आपसे कुछ कहता है अपनी बात को आप तक पहुंचाने के लिए तब उसके बोले गए शब्द केवल 7प्रतिशत ही उसका साथ देते हैं। बोलने वाले पर्सन का इस एरिया पर पूरा कंट्रोल होता है। इसलिए किसी के वर्ड को सुनकर आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि वह आपसे सच बोल रहा है या नहीं।
दूसरा- अपनी बात को कहते टाइम बोलने वाली क्या बात की टोन उसकी आवाज की फ्रीक्वेंसी में उतार-चढ़ाव और उसकी आवाज की वॉल्यूम उसके बातों के पीछे की 39 प्रतिशत की सच्चाई दिखाती है इस एरिया पर बोलने वाले का बहुत ही कम कंट्रोल होता है। इसलिए अगर आप किस पॉइंट को ध्यान में रखें तो आप उसके बातों के पीछे की सच्चाई को जान सकते हैं।
तीसरा- बोलने वाले के बातों के पीछे की 56 प्रतिशत सच्चाई उसकी बॉडी ना चाहते हुए भी खुद ही जाहिर करती है। इसलिए उसकी बॉडी लैंग्वेज को देखकर आपके समझ सकते हैं कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है
यदि ये तीनों आपस में मैच ना करते तीनों अलग-अलग मेच न करते हो तो आपको यह पता चल जाएगा कि सामने वाला आपसे सच नहीं कह रहा है और अगर यह तीनों पॉइंट आपस में मैच करते हो और एक ही मैच करते हो और एक ही मैसेज शो करते हो तो काफी हद तक कि सामने वाला आपसे सच कह रहा है।