नई दिल्ली ।। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन के अनुसार, कुल 33 लाख अस्थायी वर्कर ऐसे हैं, जिनका पीएफ खाता है। हालांकि इनमें से 6 लाख मजदूरों का पीएफ लटका हुआ है। इसकी वजह उनके यूनिवर्सल अकाउंट नम्बर और आधार की डिटेल में अंतर पाया जाना है। इसके चलते बीते 6 महीनों से पीएफ की राशि इनके खाते में नहीं ट्रांसफर हो सकी है।
फेडरेशन ने आशंका जताई कि मजदूरों को इस कागजी परेशानी के चलते अपनी ही जमा पूंजी देने से इनकार किया जा सकता है। कोरोना के संकट के बीच सरकार ने भले ही कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए 75 फीसदी तक की पीएफ राशि निकालने की अनुमति दी है लेकिन 6 लाख मजदूरों के लिए यहां भी मुसीबत पैदा हो गई है।
स्टाफिंग फेडरेशन ने सेंट्रल प्रोविडेंट फण्ड कमिश्नर सुनील बड़थ्वाल को लेटर लिखकर आधार और यूएएन को लिंक किए जाने के प्रावधान में कुछ राहत देने की अपील की है। फेडरेशन ने कहा है कि अगले कुछ महीनों के लिए यह राहत दी जाए ताकि आर्थिक संकट के दौर में मजदूरों को कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े।
वित्त मंत्री के ऐलान के बाद शनिवार को श्रम मंत्रालय की तरफ से प्रोविडेंट फण्ड की 75 फीसदी तक की निकासी की अनुमति देने वाली अधिसूचना जारी कर दी गई थी। यही नहीं एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फण्ड ऑर्गनाइजेशन ने भी अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन 75 फीसदी तक पीएफ क्लेम करने का फीचर जारी कर दिया है।
सरकार ने 15 हजार से कम सैलरी पाने वाले खाताधारकों के खाते में अगले तीन महीने यानी जून तक अपनी ओर से पीएफ जमा करने का भी ऐलान किया है। केन्द्र सरकार ने कहा है कि वह 12 फीसदी कर्मचारी का हिस्सा और 12 फीसदी कम्पनी का हिस्सा खाते में अपनी ओर से जमा करेगी।
बता दें कि देश भर में करीब 6 करोड़ पीएफ खाताधारक हैं। बता दें कि सरकार ने CORONA के संकट के चलते हुए लॉकडाउन से लोगों को उबारने के लिए पिछले सप्ताह कई बड़े ऐलान किए थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रोविडेंट फण्ड की 75 फीसदी राशि को निकालने की अनुमति भी कर्मचारियों को दिए जाने का ऐलान किया था। उनका कहना था कि इससे कोरोना के संकट में नौकरी या सैलरी में किसी तरह की समस्या आने पर लोगों को बड़ी मदद मिल सकेगी।