भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू हो जाएगा। पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर, दिन बुधवार को समाप्त हो जाएगा। तीन पीढ़ियों तक के पितरों को पिंडदान दिया जाता है। माना जाता है कि इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है। धर्म-शास्त्रों के मुताबिक मृत्यु के बाद जीवात्मा को उसके कर्मानुसार स्वर्ग-नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीर्ण होने पर वह पुनः मृत्यु लोक में आ जाती है।
कब करें किन पितरों का श्राद्ध
पूर्णिमा श्राद्ध
जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की पूर्णिमा को हुआ हो। इस दिन उन सबका श्राद्ध किया जायेगा, पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करने से परिवार को अच्छी बुद्धि, पुष्टि, पुत्र-पौत्रादि और ऐश्वर्य की प्राप्त होती है।
प्रतिपदा श्राद्ध
21 सितंबर को प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ हो। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, इसे प्रौष्ठप्रदी श्राद्ध भी कहते हैं।
द्वितीया तिथि श्राद्ध
22 सितंबर को द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हुआ हो। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा।
तृतीया तिथि श्राद्ध
23 सितंबर को तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ हो। तृतीया तिथि में उन लोगों को श्राद्ध किया जायेगा।
चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर को चतुर्थी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ हो। चतुर्थी तिथि में उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा।
पंचमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर को पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ हो। पंचमी तिथि को उनका श्राद्ध किया जायेगा। जिनका देहांत अविवाहित अवस्था में हो गया हो, उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा।
षष्ठी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर को षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। यह श्राद्ध दोपहर के समय किया जाता है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिट्ठी को हुआ हो।
सप्तमी तिथि का श्राद्ध
28 सितंबर को सप्तमी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ हो। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाएगा।
अष्टमी तिथि का श्राद्ध
29 सितंबर को अष्टमी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ हो। इस दिन उनका श्राद्ध किया जाएगा।
नवमी तिथि का श्राद्ध
30 सितंबर को नवमी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ हो। उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाएगा। जिन स्त्रियों की मृत्यु उनके पति से पूर्व ही हो गई हो, उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा। माता का श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है।
दशमी तिथि का श्राद्ध
1 अक्टूबर को दशमी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। दशमी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की दशमी को हुआ हो।
एकादशी तिथि का श्राद्ध
2 अक्टूबर को एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की एकादशी को हुआ हो। एकादशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, इस दिन श्राद्ध करना सबसे पुण्यदायक माना गया है।
द्वादशी तिथि का श्राद्ध
30 अक्टूबर को द्वादशी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। द्वादशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष पक्ष की द्वादशी को हुआ हो। साथ ही जिन लोगों ने स्वर्गवास से पहले सन्यास ले लिया हो, उन लोगों का श्राद्ध भी 30 अक्टूबर को ही किया जायेगा।
त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
4 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। त्रयोदशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ हो। साथ ही नवजात शिशुओं का श्राद्ध भी 4 अक्टूबर को ही किया जायेगा।
चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
5 अक्टूबर को चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हुआ हो। जिनकी अकाल मृत्यु एक्सीडेंट या किसी शस्त्र आदि से हुई हो। चतुर्दशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा।
अमावस्या तिथि का श्राद्ध
6 अक्टूबर को अमावस्या तिथि का श्राद्ध किया जायेगा। जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की अमावस्या को हुआ हो। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा। मातामह, यानी नाना का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा।