Pitru Paksha 2021 : पुण्य में आपका हिस्सा होता है पर पितर शाप भी देते हैं

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जीवन भर में व्यक्ति पाप और पुण्य दोनों करते हैं।। मान्यताओं के मुताबिक स्वर्ग में पुण्य का फल मिलता है जबकि नरक में पाक का फल मिलता है। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो अपने कर्मों का फल भुगतने के बाद जीव को फिर से चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ता है जो पुन्यात्मा होते हैं, उन्हें मनुष्य योनि मिलती है जबकि जिन्होंने पाप कर्म किए होते हैं, उन्हें पशुओं आदि की योनि मिलती है। शास्त्रों के मुताबिक इसीलिए पितृपक्ष का विधान बनाया गया है ताकि पुत्र आदि अपने पूर्वजों के लिए ऐसे कर्म करें, जिससे उन जीवों को परलोक या अन्य योनियों में सुख प्राप्त हो।

PITRU PAKSH

पितर शाप भी देते हैं

धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि यदि श्राद्ध नहीं किया जाता है तो उससे पितरों को कष्ट सहना पड़ता है। जिससे वे अपने सगे संबंधियों को शाप देते हैं। उपनिषद में कहा गया है कि देवता और पितरों से संबंधित काम में मनुष्य को प्रमाद नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करना चाहिए।

सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या मृत व्यक्ति को श्राद्ध में दिए जाने वाला ग्रास प्राप्त होता है। आखिरकार मृत व्यक्ति जब अपनी अंतिम यात्रा में अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकता, तब इस श्राद्ध के लिए अन्न जल आखिरकार पितरों को कैसे प्राप्त हो सकता है।

शास्त्रों के मुताबिक उस समय उसके सगे संबंधी श्राद्ध आदि तरीके से जो कुछ देते हैं, वहीं मृत व्यक्ति को मिलता है। मरणोपरांत पिंडदान की व्यवस्था बनायी गयी है। शवयात्रा के दौराना छह पिंड दिए जाते हैं। जिससे भूत पिशाचों से होने वाली बाधाओं के निराकरण के प्रयोजन सिद्ध होते हैं। दशगात्र में दिए जाने वाले दस पिंडों के जरिए जीव को आतिवाहिक सूक्षम शरीर की प्राप्ति होती है।

अब आगे उसे रास्ते में भोजन, अन्न, जल आदि की आवश्यक्ता पड़ती है, जो पितृपक्ष में दिए जाने वाले पिंडदान और श्राद्ध में दिए जाने वाले अन्न से उसे प्राप्त होता है। यदि पुत्र व सगे, संबंधियों उसे ये सब न दें तो भूख और प्यास से उसे वहां दुख होता है और सगे, संबंधियों को कष्टों का सामना करना पड़ता है।

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