बिहार के लिए सुखद समाचार, दरभंगा में एम्स की स्थापना को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी

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पटना 20 सितम्बर यूपी किरण। किसी दिन राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का अचानक चक्कर लगा लें। आपको 50 फीसद रोगी बिहार से ही मिलेंगे। यह आंकड़ा बड़ा भी हो सकता है। यह कहना गलत न होगा कि बिहार में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण बिहार के लोग दिल्ली एम्स का रुख करते हैं। इस आलोक में दरभंगा में एम्स की स्थापना को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी सुखद समाचार है। माना जा रहा है कि दरभंगा एम्स 48 महीने की अवधि के भीतर अपना काम भी शुरू कर देगा।

पिछले सप्ताह यह खबर आई कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिहार के दरभंगा में एक नए (एम्स) की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत इस संस्थान की स्थापना की जाएगी। इसके निर्माण पर कुल 1,264 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। यह स्नातक (एमबीबीएस) की 100 सीटों, बीएससी (नर्सिंग) की 60 सीटों, 15 से 20 सुपर स्पेशियलिटी डिपार्टमेंट और 750 बेड का अत्याधुनिक हॉस्पिटल होगा। यह देश का 22वां और बिहार का दूसरा एम्स होगा।

किसका विजन था एम्स

दरअसल एम्स भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर की दूरदृष्टि (विजन) का परिणाम है। जिस निष्ठा और निःस्वार्थ सेवाभाव से एम्स के डॉक्टर रोगियों को देखते हैं, उससे यह तुरंत समझ आ जाता है कि यह सामान्य अस्पताल कत्तई नहीं है।

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