संसद में PM मोदी ने विपक्ष पर किए चुन-चुन कर वार, किसान आंदोलन पर कही ये बात

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के अंदर और बाहर प्रगति में रुकावट बन रही ताकतों की ओर इशारा करते हुए दो नई शब्दावली देश के सामने प्रस्तुत की। प्रधानमंत्री ने देश के अंदर प्रगति में रुकावट बन रहे एक वर्ग का जिक्र किया जिसे उन्होंने ‘आंदोलनजीवी’ नाम दिया। साथ ही उन्होंने विदेशों से हो रहे हस्तक्षेप को ‘एफडीआई’ कहा, जिसका अर्थ है विदेशी विनाशक विचारधारा (फाॅरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलाॅजी)।

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प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि आज देश को उन लोगों की पहचान करने की जरूरत है जो भारत को अस्थिर करने में लगे हुए हैं। उन्होंने पंजाब, जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर का जिक्र करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों ने इन ताकतों से हुए नुकसान को झेला है। उन्होंने कहा कि इन ताकतों को हर सरकार ने देखा और पहचाना है। हमें इन्हें ठीक करने का प्रयास करना होगा।

‘आंदोलनजीविओं’ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने श्रमजीवी और बुद्धिजीवी शब्दों को सुना होगा लेकिन अब देश में एक ऐसी जमात पैदा हो गई है जो केवल आंदोलनों पर जीवित रहती है। यह आंदोलनजीवी जमात परजीवी की तरह है और अपने दम पर कुछ नहीं कर सकती। यह जहां कहीं भी आंदोलन हो रहा होता है यह उनके साथ पर्दे के पीछे या आगे आकर जुड़ जाते हैं। देश को इन लोगों को पहचानना होगा और इनसे बचना होगा। देशभर में अन्य पार्टियों की सरकारों ने भी ऐसा ही अनुभव किया होगा।

सिख समुदाय का जिक्र किया

प्रधानमंत्री ने विदेशी ताकतों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह ‘फाॅरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलाॅजी’ विदेशी विनाशक विचारधारा से भी देश को बचने की जरूरत है। कृषि आंदोलन में जुड़े सिख समुदाय का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग इन्हें गुमराह करने में लगे हुए हैं जिससे देश का भला नहीं होगा।

आंदोलन खत्म करें, मिलकर चर्चा करते हैं

प्रधानमंत्री ने कहा आंदोलन में बूढ़े लोग भी बैठे हैं, इसे खत्म करें। आइए, मिलकर चर्चा करते हैं। ये समय खेती को खुशहाल बनाने का है, जिसे गंवाना नहीं है। पक्ष-विपक्ष हो, इन सुधारों को हमें मौका देना चाहिए। ये भी देखना होगा कि इनसे ये लाभ होता है या नहीं। मंडियां ज्यादा आधुनिक हों। MSP था, है और रहेगा।

सदन की पवित्रता को समझें। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन मिलता है, वो जारी रहेगा। आबादी बढ़ रही है, जमीन के टुकड़े छोटे हो रहे हैं, हमें कुछ ऐसा करना होगा कि किसानी पर बोझ कम हों और किसान परिवार के लिए रोजगार के अवसर बढ़ें। हम अपने ही राजनीतिक समीकरणों के फंसे रहेंगे तो कुछ नहीं हो पाएगा।

कर्ज माफी चुनावी नारा बनता जा रहा

चुनाव आते ही एक कार्यक्रम होता है- कर्ज माफी। इससे छोटे किसान का कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि उसका तो बैंक का खाता भी नहीं होता। पहले की फसल बीमा योजना उस बड़े किसान के लिए थी, जो बैंक से लोन लेता था। सिंचाई की सुविधा भी बड़े किसान के लिए थी, वे ही ट्यूबवेल लगा सकते थे। बड़े किसान ही यूरिया ले सकते थे, छोटे किसान को तो लाठियां खानी पड़ती थीं।

नई सोच कभी भी आ सकती है

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना किसान की जिंदगी बदलने वाली योजना है। अब किसान शहरों तक अपना माल बेच रहा है। किसान उड़ान योजना का लाभ भी मिल रहा है। हर सरकारों ने कृषि सुधारों की वकालत की है। सबको लगा कि अब समय आ गया है कि ये हो जाएगा। मैं भी दावा नहीं कर सकता कि हम सबसे अच्छा सोच सकते हैं। आगे भी नई सोच आ सकती है। इसको कोई रोक नहीं सकता। आपको (विपक्ष) किसानों को ये बताना चाहिए कि सुधार वक्त की जरूरत है।

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