नई दिल्ली॥ पीएम मोदी ने सोमवार को पूर्व पीएम पी.वी. नरसिम्हा राव को उनकी 100वीं जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि वे भारत के कई दिग्गज नेताओं में से एक थे। उन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर पूर्व पीएम पी.वी. नरसिम्हा राव को 100वीं जयंती पर नमन किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विकास में भारत उनके व्यापक योगदान को याद करता है। वे असाधारण ज्ञान और बुद्धि के धनी थे। प्रधानमंत्री ने पिछले साल जून में ‘मन की बात’ के दौरान पी.वी. नरसिम्हा राव के बारे में व्यक्त किये अपने विचार भी साझा किए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत अपने एक भूतपूर्व पीएम को श्रृद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि जब हम पी.वी नरसिम्हा राव के बारे में बात करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से राजनेता के रूप में उनकी छवि हमारे सामने उभरती है लेकिन यह भी सच्चाई है कि वे अनेक भाषाओं को जानते थे। भारतीय एवं विदेशी भाषाएं बोल लेते थे। मोदी ने कहा कि वे एक ओर भारतीय मूल्यों में रचे-बसे थे, तो दूसरी ओर, उन्हें पाश्चात्य साहित्य और विज्ञान का भी ज्ञान था। वे, भारत के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे।
पीएम ने उनके जीवन के एक और पहलू का उल्लेख करते हुए कहा कि नरसिम्हा राव अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे। जब, हैदराबाद के निजाम ने वन्दे मातरम् गाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, तब, उनके खिलाफ आंदोलन में उन्होंने भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। उस समय, उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। उन्होंने कहा कि छोटी उम्र से ही नरसिम्हा राव अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने में आगे थे। अपनी आवाज बुलंद करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ते थे।
पीएम ने कहा कि नरसिम्हा राव इतिहास को भी बहुत अच्छी तरह समझते थे। बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से उठकर उनका आगे बढ़ना, शिक्षा पर उनका जोर, सीखने की उनकी प्रवृत्ति, और, इन सबके साथ, उनकी, नेतृत्व क्षमता – सब कुछ स्मरणीय है। उन्होंने देशवासियों से नरसिम्हा राव के के जीवन और विचारों के बारे में ज्यादा-से-ज्यादा जानने का प्रयास करने का भी आह्वान किया।
आपको बता दें कि पी.वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में और निधन 23 दिसम्बर 2004 में हुआ था। राव 20 जून 1991 से 16 मई 1996 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे थे। उन्होंने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। हालांकि वह देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकालने में कामयाब रहे थे।