लखनऊ-गौतमबुद्धनगर में अब पुलिस कमिश्नर होंगे गनर मुहैया कराने की समिति के अध्यक्ष

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को उनके सरकारी आवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में जनपद गौतमबुद्धनगर और लखनऊ के शहरी क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली स्थापित हो जाने के कारण सुरक्षा के लिए गनर, शैडो एवं गार्द उपलब्ध कराये जाने हेतु दिशा-निर्देश, नीति निर्धारण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।

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संयुक्त पुलिस आयुक्त सहित अन्य वरिष्ठ अफसर होंगे समिति के सदस्य

कैबिनेट के फैसले के मुताबिक गौतमबुद्धनगर एवं जनपद लखनऊ के शहरी क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के अन्तर्गत सुरक्षा के लिए गनर, शैडो एवं गार्द उपलब्ध कराये जाने हेतु गठित समिति का अध्यक्ष पुलिस कमिश्नर होगा। संयुक्त पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी स्वयं या उनके द्वारा नामित अपर जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक-निरीक्षक, स्थानीय अभि0 इकाई (उपलब्धता के अनुसार) समिति के सदस्य होंगे।

पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति 6 महीने तक सुरक्षा को देगी मंजूरी

पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा जान पर खतरा होने के मामले में सुरक्षा का औचित्य पाये जाने पर आवेदक को दो महीने के लिए सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी, जिसे आवश्यकता पड़ने पर 02-02 महीने कर दो बार बढ़ाया जा सकेगा। इस प्रकार कुल 06 महीने तक सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।

पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सुरक्षा दिये जाने के लिए अपने आदेश में सुरक्षा कर्मियों की संख्या, सुरक्षा प्रदत्त कराये जाने की अवधि, सुरक्षा का व्ययभार आदि बिन्दुओं का उल्लेख अवश्य किया जायेगा। पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा जिस जीवनभय के आधार पर 06 महीने के लिए सुरक्षा प्रदान की गयी है, उस जीवनभय को कम करने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा गम्भीर प्रयास किया जायेगा।

6 महीने बाद खतरा बने रहे पर होगा पुनर्मूल्यांकन

पुलिस कमिश्नर स्तर पर कुल 6 महीने की सुरक्षा अवधि समाप्त होने पर 15 दिन पूर्व पुलिस कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सम्बन्धित व्यक्ति की जान पर खतरे का पुनर्मूल्यांकन किया जायेगा एवं खतरा बरकरार होने की दशा में अपनी स्पष्ट संस्तुति सहित सुविचारित प्रस्ताव, जीवन भय आख्या शासन को विचार के लिए भेजी जायेगी। इसके अतिरिक्त, अन्य सभी निर्देश पूर्व के शासनादेशों के अनुसार प्रभावी होंगे। मंत्रिपरिषद ने सुरक्षा व्यवस्था की नीति में भविष्य में आवश्यकतानुसार संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।

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